Rajasthan News: कॉन्स्टेबल की पत्नी से सांसद बनने तक का सफर, जानें भरतपुर लोकसभा सीट से सांसद संजना जाटव की कहानी
देश में 18वीं लोकसभा का गठन हो चुका है। कई प्रत्याशियों ने इस बार चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव के इस मैदान में कई उम्मीदवार उतरे और सांसद बनने की इस रेस में शामिल हुए।
आपको बता दें कि संजना की शादी अलवर जिले के कठूमर में रहने वाले कप्तान सिंह से हुई थी। तब संजना की उम्र महज 18 साल थी। संजना जाटव ने बताया कि ग्रेजुएशन करते ही उनकी शादी हो गई थी। पीहर भरतपुर के भुसावर कस्बे में है। पति कप्तान सिंह 2012 से राजस्थान पुलिस में हैं। अभी वे अलवर के थानागाजी थाने में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं। संजना बताती हैं- पढ़ाई से लेकर राजनीति के इस सफर में पति हमेशा साथ रहे। लोकसभा चुनाव लड़ने की जब बात आई तो हमारे पास ज्यादा रुपए नहीं थे। पति ने जैसे-तैसे रुपए जुटाए और चुनाव लड़ाया। यहां तक कि उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी मेरे चुनाव पर खर्च कर दी। पति नौकरी के साथ मुझे गाइड करते रहते थे कि अब कैसे और कहां प्रचार करना है।
अब आपको बताते हैं कि संजना की राजनीति में एंट्री कैसे हुई। दरअसल संजना के ससुर हरभजन सिंह कॉन्ट्रैक्टर हैं। बड़े ससुर कमल सिंह सरपंच रह चुके हैं। इस तरह परिवार का राजनीति में हस्तक्षेप पहले से ही था। बड़े ससुर के कहने पर संजना ने 2021 में अलवर के वार्ड नंबर 29 से चुनाव लड़ने का फैसला किया। परिवार के पास पैसे नहीं थे। पति और ससुर ने मिलकर रुपए जुटाए और चुनाव लड़ाया। संजना ने निराश नहीं किया और जीत हासिल की।
पीसीसी सदस्य भूपेंद्र गुर्जर संजना के परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होंने एक किस्सा शेयर किया कि साल 2021 में संजना जिला परिषद सदस्य बनी थीं। इसके बाद वह अपने ससुर के साथ जयपुर में कांग्रेस के नेताओं से मिलने गईं। इस पर वह एक कांग्रेस नेता के यहां भी पहुंचीं। उस समय वहां 100 से 150 लोग मौजूद थे। इस दौरान कांग्रेस नेता ने उन्हें ये कहकर वहां से निकाल दिया कि इसे विधायक बनने की जल्दी है। संजना के ससुर हरभजन सिंह को कांग्रेस नेता की ये टिप्पणी अपमानजनक लगी। इसके बाद ससुर ने संजना को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया।
कांग्रेस नेता और संजना के बड़े ससुर के बीच राजनीति अदावत रही। इसी काे लेकर कांग्रेस नेता की ओर से संजना के परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया गया। पीसीसी मेंबर भूपेंद्र गुर्जर ने बताया कि एक बार रात में कांग्रेस नेता के इशारे पर घर के बाहर गड्ढा खोद दिया गया। घर से निकलना बंद कर दिया गया। पति की जयपुर तक पुलिस विभाग में शिकायत की गई। संजना को भी लगने लगा कि विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले खुद को मजबूत करना होगा। इसके लिए उन्होंने अपने परिवार के सामने एलएलबी करने की इच्छा जाहिर की। पति कप्तान सिंह ने संजना को एलएलबी में एडमिशन दिलवाया। 2023 में ही संजना ने एलएलबी पूरी की।
इस बीच राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा और प्रियंका गांधी की 'मैं भी लड़की हूं लड़ सकती हूं' कैम्पेन में काफी एक्टिव होकर काम किया। दोनों कैम्पेन में लोकल स्तर पर संजना ने पूरी जिम्मेदारी संभाली। प्रियंका गांधी के इस कैम्पेन में काफी युवतियों को जोड़ा। यहीं से वह प्रियंका गांधी की नजरों में आईं। इसके बाद राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा में संजना पहुंची। प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। उनके नजदीकी बताते हैं कि इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
प्रियंका गांधी के कहने के बाद संजना भंवर जितेंद्र सिंह के साथ काम करने लगी। प्रियंका गांधी की करीबी होने का फायदा ये मिला कि संजना को साल 2023 में कठूमर विधानसभा से टिकट देने का फैसला लिया गया। इधर, कठूमर समेत आस-पास के लोगों को पता था कि संजना और उनके ससुर को एक नेता ने अपने घर से निकाल दिया था। ऐसे में संजना और उनके परिवार के साथ सहानुभूति भी थी। प्रियंका गांधी के कहने के बाद भंवर जितेंद्र सिंह भी उनके समर्थन में आ गए और संजना के पक्ष में भरतपुर में एक सभा भी की थी। संजना के सामने चुनाव मैदान में बीजेपी के रमेश खींची थे। संजना महज 409 वोट से हार गईं। कांग्रेस पार्टी में इसकी भी चर्चा होने लगी।
विधानसभा चुनाव में इतने कम वोट से हार के बाद (Rajasthan News) भी संजना ने हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार क्षेत्र में कांग्रेस के लिए काम करती रहीं। अलवर की कठूमर विधानसभा भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है। भरतपुर एससी सीट रही। ऐसे में कांग्रेस के आलाकमान को भी लगने लगा कि संजना भरतपुर लोकसभा सीट निकाल सकती हैं। इस बार भी भंवर जितेंद्र सिंह को इसकी कमान सौंपी गई और संजना को चुनावी मैदान में उतारा।
संजना के नाम पर मुहर लगने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी अपना समर्थन दिया और एक सभा की। बताया जाता है कि इस सभा में विश्वेंद्र सिंह ने संजना जाटव को अपनी बेटी बताया और वोट की अपील की थी। इसके बाद एक ये चर्चा होने लगी कि अगर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह ने संजना को अपनी बेटी माना है तो वह भी हमारी बहन और बेटी हुई। ऐसे में जाट समाज का भी संजना को समर्थन मिला। नतीजा ये रहा कि संजना ने बीजेपी को 50 हजार वोट से हरा दिया। संजना ने नदबई और भरतपुर विधानसभा छोड़कर सभी विधानसभा में बीजेपी से लीड बनाई।