वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी के दर्शन करने के लिए सालभर लाखों श्रद्धालु आते रहते हैं और बांकेबिहारी के दर्शन करते हैं, लेकिन किसी ने ठाकुर जी से चरणों के दर्शन नहीं किए होंगे. क्योंकि बांकेबिहारी के चरण सालभर उनकी पोशाक से ढके रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि बांकेबिहारी के चरणों के दर्शन करने का मौका कब आता है. कौन सा वो दिन है जब बांकेबिहारी सभी भक्तों को अपने चरणों के दर्शन देते हैं.
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि हर साल वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन के बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है और पूरी साल भगवान के चरण उनकी पोशाक से ढके रहते हैं. केवल साल में एक बार ही लोगों को चरणों के दर्शन होते हैं. भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन के लिए हजारों संख्या में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. बांके बिहारी के चरणों के दर्शन के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग वृंदावन आते हैं.
एक बार होते हैं बांके बिहारी के चरण दर्शन
एक कथा के अनुसार, कई सालों पहले निधिवन में स्वामी हरिदास की भक्ति, आराधना से प्रसन्न होकर श्री बांके बिहारी जी प्रकट हुए थे. स्वामी हरिदास पूरी निष्ठा के साथ अपने बांकेबिहारी की सेवा करते थे. उन्हें प्रिय व्यंजनों का भोग भी लगाते थे और उनकी पूजा करते थे. बांकबिहारी जी की सेवा में रहते हुए एक बार उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. जब उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली, तब स्वामी जी को ठाकुर जी ने अपने चरणों के दर्शन दिए थे और स्वामी को बांकेबिहारी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई थी. तब स्वामी स्वर्ण मुद्रा से प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम करते थे.