H

बसंत पंचमी मां सरस्वती पूजा: सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने की थी मां सरस्वती की पूजा

By: Sanjay Purohit | Created At: 12 February 2024 11:08 AM


बसंत पंचमी का त्यौहार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। माघ मास को यज्ञ, दान तथा तप आदि की दृष्टि से बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है।

bannerAds Img
बसंत पंचमी का त्यौहार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। माघ मास को यज्ञ, दान तथा तप आदि की दृष्टि से बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है। बसंत के आगमन पर शीत से जड़त्व को प्राप्त प्रकृति पुन: चेतनता को प्राप्त होने लगती है। भगवान श्रीकृष्ण गीता जी में कहते हैं कि ‘ऋतुनां कुसुमाकर:’। ऋतुओं में वसंत मैं हूं। बसंत को ऋतुराज भी कहा जाता है।

बसंत का आगमन यह संदेश देता है कि जिस प्रकार बसंत के आने से प्रकृति का माधुर्य मन एवं शरीर को शीतलता तथा अनुकूल आनंद प्रदान करता है, शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, शीत ऋतु की जकड़न से मुक्त हुए शरीर को एक नई अनुभूति होती है, जिस प्रकार जीवात्मा तत्व ज्ञान के अभाव में त्रिगुणात्मक पदार्थों को भोगता हुआ कर्म बंधन में जकड़ा रहता है और तत्व ज्ञान की प्राप्ति स्वरूप वह राग द्वेष आदि द्वंद्वों से रहित पुरुष संसार बंधन से मुक्त हो जाता है, ठीक वैसे ही हमें अपने जीवन में इसी प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन हेतु सदैव तत्पर रहना चाहिए।

जिस प्रकार ऋतु परिवर्तन से प्रकृति में आनंद भरने वाली बसंत ऋतु का आगमन होता है, उसी प्रकार जीवन में निरंतर उत्साह तथा मन की प्रसन्नता से जीवन उमंग के रंग से भर जाता है। बसंत पंचमी का संबंध विद्या एवं संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती जी के जन्म दिवस से भी है। ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।