अगर इन दिनों आप या आपके पास मौजूद किसी व्यक्ति को अचानक ज्यादा पसीना आ रहा है और बुखार भी तेज (104 डिग्री फारेनाइट से अधिक) हो रहा है तो ये हीट स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है. भीषण गर्मी की वजह से हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ भी रहे हैं. कई राज्यों में इससे लोगों की मौतें भी हो रही है. डॉक्टरों ने भी लोगों को अलर्ट रहने और हेल्थ का ध्यान रखने की सलाह दी है.ऐसे में आपको हीट स्ट्रोक के फर्स्ट एड यानी प्राथमिक उपचार के बारे में जरूर पता होना चाहिए. इससे आप खुद और दूसरे की जान बचा सकते हैं. आइए पहले जान लेते हैं कि हीट स्ट्रोक क्यों होता है और इसके लक्षण क्या हैं.
हीटस्ट्रोक तब होता है जब शरीर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है. तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक हो जाता है और तेज पसीना आने लगता है. इस दौरान शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है. ऐसा शरीर के कूलिंग सिस्टम के फेल होने की वजह से होता है.
इस स्थिति में बॉडी का तापमान तेजी से बढ़ता है और इससे हार्ट और ब्रेन के फंक्शन पर असर पड़ता है. कुछ मामलों में ब्रेन डैमेज हो जाता है या हार्ट अटैक आ जाता है. जो मौत का कारण बनता है. जो लोग अधिक देर तक तेज धूप में रहते हैं और कम पानी पीते हैं उनको हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है. मजदूरों, फील्ड वर्क करने वालों में हीट स्ट्रोक के मामले ज्यादा देखे जाते हैं.
ऐसे करें पीड़ित की मदद
अगर किसी व्यक्ति को अचानक उल्टी आ रही है और शरीर का तापमान 105 फारेनाइट से अधिक हो गया है या हीट स्ट्रोक के कोई दूसरे लक्षण दिख रहे हैं तो इस तरह फर्स्ट एड दें.
सबसे पहले व्यक्ति के सिर पर ठंडे पानी को छिड़के, उसकी किसी वस्तु से हवा करें ये जहां पंखा लगा हो ऐसी जगह लेकर जाएं. इस दौरान कोशिश करें कि व्यक्ति को धूप में बिलकुल न रखें किसी हवा वाली जगह लेकर जरूर जाएं.
गर्दन, बगल और कमर पर आइस पैक या ठंडे और गीले तौलिये या किसी कपड़े को रखें
अगर व्यक्ति होश है तो उसे पानी पीने को भी दें. पानी नहीं है तो नारियल पानी या छाछ भी दे सकते हैं
व्यक्ति बेहोश हो गया है तो एक दो बार आवाज लगाएं. उसकी पल्स भी चेक करें. अगर रिस्पांस आ गया है तो व्यक्ति खतरे से बाहर है.
अगर रिस्पांस नहीं आ रहा है तो तुरंत सीपीआर दें. इस दौरान एंबुलेंस को भी कॉल कर दें
बेहोश होने पर मरीज को अस्पताल ले जाना बहुत जरूरी है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर प्राथमिक उपचार देने से हीट स्ट्रोक से मौत का खतरा काफी हर तक कम किया जा सकता है