Rajasthan Politics: राजस्थान में बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें, मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने दिए इस्तीफा देने के संकेत
पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी आलाकमान ने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना था।
Jaipur: पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Politics) में जीत हासिल करने के बाद पार्टी आलाकमान ने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना था। शर्मा के मंत्रीमंडल सहयोगी किरोड़ी लाल मीणा ने उनके अधीन सीट पर पार्टी की हार के कारण इस्तीफा देने का संकेत दिया है, जिस कारण मुख्यमंत्री शर्मा को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
मंत्रियों पर दबाव पड़ने की संभावना
इस कदम से अन्य मंत्रियों पर दबाव पड़ने की संभावना है, जिनके क्षेत्रों में भी लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन हुआ है। वहीं कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का प्रभाव बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि, पार्टी एक दशक के बाद राज्य में कुछ सीटें जीतने में सक्षम हुई है।
राजस्थान में भाजपा 14 सीटों पर सिमटी
मंगलवार को घोषित लोकसभा चुनाव नतीजों में भाजपा ने 25 में से 14 सीट पर जीत दर्ज की जबकि, कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने 11 सीटें जीतीं। इस बार, भाजपा को 2019 के मुकाबले 10 सीट पर हार का सामना करना पडा। जबकि, भाजपा के पूर्व सहयोगी आरएलपी ने नागौर सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और विजयी हुई।
भाजपा के मत प्रतिशत में 9.23% की गिरावट दर्ज हुई
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना (Rajasthan Politics) में 2024 में भाजपा के मत प्रतिशत में 9.23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जबकि कांग्रेस ने अपने वोट शेयर में 3.67 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की। भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ-साथ राज्य में भाजपा का चुनाव अभियान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने चलाया गया।
सीएम भजनलाल शर्मा के गृहनगर भरतपुर में भाजपा हारी
चूंकि जोशी स्वयं चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री ने पूरे राज्य में चुनावी रैलियां और बैठकें की। भाजपा को बड़ा झटका पूर्वी राजस्थान से लगा, जहां, पार्टी को भरतपुर, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर और दौसा सीटें गंवानी पड़ीं। भरतपुर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृहनगर है। इन सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
सीएम भजनलाल ने राजस्थान में 89 रैलियां की
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने राजस्थान में 89 और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में 62 जनसभाएं और रैलियां कीं।
"सीएम ने पेपर लीक को रोकने में कई फैसले लिए"
मुख्यमंत्री के एक सहयोगी ने बताया, “तीन महीने की अवधि में मुख्यमंत्री ने पेपर लीक को रोकने और कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई फैसले लिए। पूर्वी राजस्थान की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और राजस्थान मध्य प्रदेश सरकारों के बीच पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा शेखावाटी क्षेत्र में पानी की समस्या के समाधान के लिए यमुना जल को लेकर हरियाणा के साथ समझौता किया गया।
"आरक्षण और किसानों के मुद्दों से भाजपा की हार हुई"
भाजपा के एक अन्य नेता ने बताया, “चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए भाजपा सरकार ने सक्रिय दृष्टिकोण के साथ काम करना शुरू किया। मुख्यमंत्री ने चुनाव अभियान का नेतृत्व किया, लेकिन हार किसानों के मुद्दों, चुनाव अभियान के दौरान उठाए गए एससी और एसटी आरक्षण के मुद्दे जैसे विभिन्न कारकों के कारण हुई। ये पार्टी उम्मीदवारों की हार के स्पष्ट कारण हैं।”
"मुख्यमंत्री के प्रदर्शन का आंकलन विधानसभा के उप-चुनाव में होगा"
राज्य में पांच वर्तमान विधायक (3 कांग्रेस, 1 आरएलपी, 1 बीएपी) लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और आने वाले महीनों में इन विधानसभा सीट पर उपचुनाव होंगे। भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री और सरकार के प्रदर्शन का आंकलन विधानसभा उपचुनावों में किया जाएगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव केंद्रीय मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तुलना में राजस्थान में पार्टी को मिली हार पर उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन और जाट समुदाय, एससी/एसटी लोगों में आरक्षण को लेकर नाराजगी का असर उन राज्यों की तुलना में राजस्थान में अधिक था। उन्होंने कहा, “आगे विधानसभा उपचुनाव समेत कुछ चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन उनके मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने की संभावना है।”