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Rajasthan HeatWave: हीटवेव से प्रदेश में गई 66 जान, सरकार ने मानी 5, मंत्री किरोड़ीलाल मीणा बोले- 'मुआवजे का प्रावधान नहीं'

By: payal trivedi | Created At: 01 June 2024 04:57 AM


राजस्थान में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में हीटवेव यानी लू से अबतक 66 लोग जान गंवा चुके हैं। इन मौतों पर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था।

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Jaipur: राजस्थान में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में हीटवेव यानी लू से अबतक 66 लोग जान गंवा चुके हैं। इन मौतों पर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था। हीटवेव और कोल्डवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और प्रदेश सरकार को हीटवेव से हुई मौत के मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के आदेश दिए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने रिकॉर्ड में 66 में से महज 5 मौत हीटवेव से मानी हैं। इसका मतलब साफ है कि केवल 5 मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण हीटवेव दर्ज करके दिया जाएगा। अगर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुआवजा दिया भी गया तो केवल यही 5 परिवार उसके दायरे में आ सकेंगे। उधर आपदा राहत मंत्री का कहना है कि हीटवेव से मौत पर मुआवजे का प्रावधान ही नहीं है। अब सबसे पहला सवाल यही है कि सरकार हीटवेव से मौत किसे मानती है? क्योंकि जब तक हीटवेव से मौत ही नहीं मानी जाएगी तो मुआवजा कैसे मिलेगा? चलिए आपको बताते हैं कि राष्ट्रीय आपदा घोषित होने पर क्या राहत मिलेगी? हीटवेव से मौत पर विशेषज्ञ डॉक्टर्स क्या कहते हैं?

सबसे पहले जान लेते हैं कि आपदा में मौत होने पर कितना मिलता है मुआवजा? बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा घोषित आपदाओं में किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। वहीं दिव्यांग होने पर 74 हजार से 2.5 लाख रुपए की सहायता दी जाती है। गंभीर घायल होने की स्थिति में जब एक सप्ताह से अधिक समय तक हॉस्पिटल में भर्ती रहने की आवश्यकता हो तो 16 हजार रुपए की सहायता दी जाती है। इसमें भी यह शर्त है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले इसके योग्य नहीं होते हैं।

अब आपको बताते हैं कि राजस्थान में हीटवेव से मौत पर क्यों नहीं मिल रहा मुआवजा? बता दें कि राजस्थान में आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 राजस्थान में एक अगस्त 2007 में लागू किया गया था। इस अधिनियम के मुताबिक राजस्थान में भी हीटवेव घोषित आपदा नहीं है। इसमें केंद्र की 10 व प्रदेश की केवल 2 आपदाओं को ही शामिल किया गया था। हीटवेव यानी लू को अभी तक प्राकृतिक आपदाओं की सूची में शामिल नहीं किया गया है। इस कारण हीटवेव से मौत होने पर मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जाता है। मुआवजे की प्रक्रिया जिला कलेक्टर के माध्यम से होती है। उस समय मृत्यु के कारण संबंधी प्रमाण की भी आवश्यकता होती है। कोविड-19 से हुई मौतों में उनके आश्रितों को 50 हजार रुपए की सहायता देने के लिए सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग को 42 करोड़ का बजट दिया था।

इस मामले में आपदा प्रबंधन मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का कहना है कि प्रदेश में हीटवेव से मरने वालो के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री से मिलकर इसके लिए केंद्र को पत्र लिखने के लिए कहेंगे कि हीटवेव से मौत को भी एसडीआरएफ की गाइडलाइन में शामिल कर लिया जाए। हीटवेव से मरने वालों को भी वैसे ही पैकेज दिया जा सके। जैसे अन्य आपदाओं में मिलता है। अभी हीटवेव और शीतलहर में कोई पैकेज नहीं मिलता है। हालांकि राज्य सरकारों को यह अधिकार है कि वे एसडीआरएफ का दस प्रतिशत अपने द्वारा घोषित स्थानीय आपदा पर खर्च कर सकती है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित आपदाओं में शामिल नहीं होने पर राज्य सरकारें अपने स्तर पर भी आपदा घोषित कर सहायता दे सकती हैं।

अब सवाल ये है कि डॉक्टर कैसे तय करते हैं मौत हीटवेव से ही हुई है? तो आपको बता दें कि जोधपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. आलोक गुप्ता का कहना है कि हीटस्ट्रोक की स्थिति में मरीज के शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है। यह 107.6 डिग्री फारनेहाइट तक पहुंच जाता है। इससे शरीर के मल्टी ऑर्गन फेलियर की स्थिति बन जाती है। शरीर के सारे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में चला जाता है। गंभीर स्थिति में उसकी मौत भी हो सकती है। चूंकि हीटवेव के लक्षण (चक्कर आना, बेहोशी आना, बीपी कम होना, शरीर का तापमान बढ़ना) दूसरी बीमारियों के समान ही होते हैं। इस कारण यह साबित करना मुश्किल होता है कि मौत का कारण हीटवेव ही है। हालांकि शरीर का बहुत बढ़ा हुआ तापमान, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और मेडिकल ट्रीटमेंट हिस्ट्री से इसका सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अक्सर परिजन मृतकों का पोस्टमॉर्टम नहीं करवाते हैं। इसलिए इनकी संख्या आंकड़ों में शामिल नहीं होती है।

आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए कहा है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को भी लू से बचाव के तत्काल व प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने कहा - 18 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में पेश लू और शीतलहर के कारण मृत्यु रोकने वाले विधेयक को लागू करें। इसके लिए कोर्ट के आदेश की प्रति केंद्रीय वन मंत्रालय व प्रमुख विधि सचिव राज्य सरकार को भेजी जाए। प्रदेश सरकार को लू से बचाव के उपाय करने और मजदूरों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक काम नहीं करने देने के निर्देश दिए। सरकार को जल, वन और वृक्षारोपण के लिए बनी योजनाओं को तत्काल लागू करने को कहा। साथ ही इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने के आदेश दिए। इस मामले में आगे की सुनवाई एक जुलाई को नियमित बेंच में होगी। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित विभागों से जवाब भी मांगा है। राजस्थान हाई कोर्ट के एडवोकेट डॉ. वरुण पुरोहित ने कहा कि हीटवेव ने कई लोगों की जान ले ली लेकिन प्रदेश सरकार की नींद नहीं टूटी है। यह राज्य सरकार की नाकामी है कि कोर्ट को हीटवेव मामले में संज्ञान लेना पड़ रहा है।