Loksabha Election 2024: मोदी ने 370 सीट जीतने का किया दावा, लेकिन क्या देश के इन हिस्सों में मिलेगी भाजपा को कामयाबी?
लोकसभा चुनावों अब नजदीक ही हैं। और ऐसे में अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां सीटों को लेकर अलग-अलग दावे पेश कर रही हैं।
New Delhi: लोकसभा चुनावों अब नजदीक (Loksabha Election 2024) ही हैं। और ऐसे में अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां सीटों को लेकर अलग-अलग दावे पेश कर रही हैं। बता दें कि BJP इस चुनाव में अबकी बार 400 के पार का नारा लगा रही थी। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में बीजेपी के लिए 370 सीट पर जीत का दावा करने के साथ टार्गेट सेट कर दिया है। पर यह लक्ष्य भी इतना आसान नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने 37 परसेंट वोट के साथ 303 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। पीएम नरेंद्र मोदी के नाम और काम के बल पर पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा सीट और वोट हासिल करने में कामयाब हुई थी।
2019 में थे कुछ ऐसे हाल
2019 में 2014 के मुकाबले 6 परसेंट वोट अधिक मिला था। और करीब 21 सीटें भी अधिक जीतने में कामयाबी मिली थी। अब जब लक्ष्य बढ़ गया है तो जाहिर है कि चुनौतियां और भी बड़ी होंगी। पर जिस तरह का देश में अभी माहौल है उसे देखकर यही लगता है कि बीजेपी के सामने 370 सीटों का पहाड़ कोई मायने नहीं रखता है। पर जब हम आंकड़ों की हकीकत देखते हैं तो लगता है कि बीजेपी को अपनी पुरानी सफलता दोहरानी भी मुश्किल है। देश के इन पांच हिस्सों की मुश्किलों पर पार पाए बिना बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी की दावे को पूरा करने में सफल नहीं हो पाएगी। आईये जानते हैं कि आखिर देश के वे 5 हिस्से कौन से हैं? जहां बीजेपी को खासा फोकस करना होगा...
1-पंजाब-हरियाणा- हिमाचल-कश्मीर और दिल्ली में इस बार मुश्किल
2014 के बाद से पूरे देश में बीजेपी की लोकप्रियता (Loksabha Election 2024) ने आसमान छुआ है पर उत्तर भारत के पंजाब और दिल्ली में बीजेपी से जनता दूर होती गई है। जबकि पार्टी ने हर स्तर पर कोशिश की है कि इन राज्यों में बीजेपी को स्थापित किया जा सके। हालांकि ये छोटे राज्य हैं पर 370 के टार्गेट को पूरा करने के लिए एक-एक सीट जरूरी होगा, पंजाब में बीजेपी का आम आदमी पार्टी से मुकाबला है और अब पुराना साथी शिरोमणि अकाली दल भी साथ नहीं है। यानि कि इस बार 13 में से 2 सीट भी मिलनी मुश्किल लग रहा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पहली बार चुनाव होंगे। लद्दाख में जिस तरह केंद्र के खिलाफ हाल ही में आंदोलन हुए हैं उससे वहां की सीट भी खतरे में दिख रही है। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आ चुकी है जाहिर है कि जिस पार्टी की सरकार होती है उस पार्टी को कुछ माइलेज तो मिलता ही है। पिछली बार यहां पर बीजेपी को 4 में से 4 सीट मिली थीं। इस बार यहां पर सभी सीट जीतना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। दिल्ली में भी पिछली बार सभी 7 सीटें बीजेपी ने जीती थी पर जिस तरह आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई और नगर निगमों पर भी कब्जा कर लिया उससे यहां पर चैलेंज बढ़ गया है। दिल्ली में एक और चैलेंज है कि यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन होता दिख रहा है। मतलब सीधा है कि यहां से भी सभी की सभी सीटें जीतनी मुश्किल ही लग रही हैं।
2- यूपी में करीब 10 सीट बढ़ाना टेढ़ी खीर होगा
उत्तर प्रदेश में 2019 के चुनावों में बीजेपी 80 में से 62 सीट जीतने में कामयाब हुई थी। 2 सीटें सहयोगी दलों ने जीता था। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था शायद यही कारण रहा कि पार्टी 2014 की सफलता यूपी में दोहरा नहीं सकी। बहुजन समाज पार्टी को 10 सीटें मिलीं थीं जबकि समाजवादी पार्टी को सिर्फ 5 सीट ही जीतने में कामयाब हो सकी, 2024 का चुनाव भी इंडिया गठबंधन के साये में होने जा रहा है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी में आपसी सहमति बन चुकी है। जबकि कांग्रेस के साथ लगातार सीट शेयरिंग पर चर्चा हो रही है। समाजवादी पार्टी ने अपनी ओर से कांग्रेस को 11 सीटों की ऑफर दिया है। अगर ये समझौता हो जाता है तो निश्चित है कि बीजेपी को अपना पुराना प्रदर्शन भी दोहराना आसान नहीं होगा। पूर्वी यूपी के कई जिलों में पिछली बार बीजेपी साफ हो गई थी। अगर हाल ही में हुए घोसी उपचुनाव को नजीर माने तो अभी भी बीजेपी के लिए यहां मुश्किल कम नहीं हुई है। यह कौन नहीं जानता है कि घोसी में समाजवादी पार्टी से आए पिछड़ों के नेता दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने यहां से टिकट दिया था। और राजभर नेता ओमप्रकाश राजभर ने भी जमकर चुनाव प्रचार किया था फिर भी बीजेपी यहां से जीत नहीं सकी। यूपी में बिना 10 सीट बढाए यानि कि बिना 72 सीट पर जीत हासिल किए बीजेपी के लिए इस बार 370 का आंकड़ा नाममुकिन हो सकता है।
3-पूर्वी भारत इस बार चैलेंज होगा
बीजेपी को इस बार बंगाल, बिहार और उड़ीसा (Loksabha Election 2024) में अपनी सफलता दोहराना मुश्किल ही लग रहा है। बीजेपी के पास ओडिशा से केवल आठ लोकसभा सांसद हैं, जबकि बीजेपी के पास 20 सीटें हैं। ओडीशा में बीजेपी की संभावना इसलिए भी कम लग रही हैं कि क्योंकि बीजेपी यहां पर अभी तक आक्रामक राजनीति नहीं कर रही है।ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के खिलाफ बीजेपी का दोस्ताना मुकाबाल चल रहा है। दूसरे नवीन पटनायक भी बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी के पास अगर अयोध्या का राम मंदिर है तो नवीन पटनायक के पास पुरी का कॉरिडोर है। इसी तरह 370 सीटों के सपने को पूरा करने के लिए बंगाल भी बाधक है. बीजेपी को यहां अपना पुराना रेकॉर्ड 19 सीटों से आगे बढ़ने की कहीं से भी उम्मीद नहीं दिख रही है। जिस तरह यहां लोकसभा चुनावों के बाद फिर से टीएमसी मजबूत हो कर उभरी है उससे नहीं लगता कि बीजेपी अपनी पुरानी सीटें भी मेंटेन कर पाएगी।
4-दक्षिण भारत में 25 की बजाय 50 सीट जीतना होगा
आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। तमिलनाडु की 42 सीटों में से भी बीजेपी के खाते में कुछ नहीं आया और इस बार भी लड़ाई यहां कठिन है। केरल की 20 सीटों में से भी बीजेपी के लिए खाता खुलता नहीं दिख रहा है। इन तीनों राज्यों को मिलाकर ही 87 सीटें होती हैं। बीजेपी को अगर 400 सीटों का लक्ष्य हासिल करना है तो यहां सिर्फ अपना खाता ही नहीं खोलना होगा, बल्कि काफी अच्छा प्रदर्शन भी करना होगा। 370 का आंकड़ा पार करने के लिए पार्टी को केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में कम से कम 30 सीटों की जरूरत होगी, जो काफी मुश्किल नजर आ रहा है। इन राज्यों की कुल 118 सीटों में से बीजेपी के पास सिर्फ चार सीटें हैं, जो तेलंगाना में मिली थीं। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वो पुरानी सीटें भी मिलनी मुश्किल हो सकती हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कर्नाटक में भी मुश्किल हो सकती है। पिछले आम चुनाव में बीजेपी ने 28 में 25 सीटें यहां से जीती थीं, इस बार पार्टी ने जेडी एस के साथ चुनावी समझौता किया है। जाहिर है कि बीजेपी को 4 सीटें जेडी एस को देनी होगी। कर्नाटक में भी अब बीजेपी का राज नहीं है, सत्ता बदलने के बाद राज्य की राजनीति में कांग्रेस और मजबूत हुई है। तमिलनाडु और केरल में अब भी बीजेपी को कोई चमत्कार ही सीट दिला सकता है। हालांकि पार्टी इन दोनों राज्यों में जिस तरीके से मेहनत कर रही है वो जरूर रंग लाएगा।
5-महाराष्ट्र की मुश्किल
उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक लोकसभा सांसद महाराष्ट्र (Loksabha Election 2024) से ही आते हैं। यहां 48 सीटों में से बीजेपी को 23 सीटें मिली थीं। हालांकि 2019 के बाद गोदावरी में काफी पानी बह चुका है। महाराष्ट्र के चुनावी समीकरण काफी बदले चुके हैं। बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर अपने दुश्मनों को कमजोर करने की कोशिश की है पर चुनावी रूप से अब भी पार्टी कमजोर ही महसूस कर रही है। कारण यह है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे बिना पार्टी के भी मजबूत हैं। अगर यहां इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग हो जाती है तो बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल आने वाली है।