'राजनीति में हमेशा के लिए दुश्मन या दोस्त नहीं होता', अजित पवार ने बताया क्यों गए बीजेपी-शिवसेना के साथ
By: Ramakant Shukla | Created At: 28 August 2023 07:28 AM
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का कहना है कि वे बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट वाले गठबंधन में इसलिए शामिल हुए ताकि लोगों की समस्या हल कर सकें। अजित पवार ने कहा कि राजनीति में न तो कोई हमेशा के लिए दुश्मन होता है और न ही हमेशा के लिए दोस्त। इसलिए उन्होंने राज्य के विकास के लिए गठबंधन में शामिल होने का फैसला लिया।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का कहना है कि वे बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट वाले गठबंधन में इसलिए शामिल हुए ताकि लोगों की समस्या हल कर सकें। अजित पवार ने कहा कि राजनीति में न तो कोई हमेशा के लिए दुश्मन होता है और न ही हमेशा के लिए दोस्त। इसलिए उन्होंने राज्य के विकास के लिए गठबंधन में शामिल होने का फैसला लिया।
बीड में एक रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, ''हम महाराष्ट्र में सभी को बताना चाहते हैं कि भले ही हम महायुति (बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट वाले गठबंधन) में हैं, लेकिन सभी जातियों और धर्मों के लोगों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
बीड अजित पवार समर्थक धनंजय मुंडे का गृह क्षेत्र है। धनंजय मुंडे ने एनसीपी में बगावत के समय अजित पवार का साथ दिया था और उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया है। कुछ दिन पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने भी बीड में रैली की थी।
अजित पवार का विपक्ष पर वार
अजित पवार ने बीड रैली में विपक्ष पर भी हमला बोला और गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। पवार ने कहा, "जब प्याज की कीमतें बढ़ीं तो बहुत लोगों ने फोन किया। विपक्ष हमेशा गलत जानकारी देता है. मैंने धनंजय मुंडे (महाराष्ट्र के कृषि मंत्री) से दिल्ली जाने को कहा. धनंजय दिल्ली गए और मदद का अनुरोध किया। गृह मत्री अमित शाह ने तत्काल 24 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदी."
पिछले महीने एनसीपी में बगावत कर हुए थे सरकार में शामिल
अजित पवार बीती 2 जुलाई को सभी का चौंकाते हुए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए थे। उन्होंने उसी दिन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। अजित पवार के इस कदम को एनसीपी प्रमुख चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा गया था। हालांकि, अजित पवार इसे बगावत कहने से इनकार करते रहे हैं। सरकार में शामिल होने को शरद पवार ने समर्थन नहीं दिया और इसके बाद से पार्टी में दो धड़े बने हुए हैं।
5 जुलाई को शरद पवार और अजित पवार ने पार्टी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर शक्ति प्रदर्शन भी किया था और यहां भी अजित पवार का पलड़ा भारी दिखा था. एनसीपी के ज्यादा विधायक उनके साथ नजर आए थे।