टीकमगढ़ , जिले में गांव की बसावट एक पहाड़ की तरह है और उससे सटे तालाब है। यहां पर बारिश का पानी एक तालाब से दूसरे तालाब को भरता हुआ नदी में मिलता है, लेकिन इन दिनों तालाबों की स्थिति खतरे में है। जलसंसाधन विभाग के १०८ तालाबों में से सिर्फ १२ तालाबों में ही पानी शेष बचा है। उनका पानी शलूस के नीचे उतर गया है, जो निस्तार के लिए ही बचा है। ९६ तालाबों का अस्तिव खतरे में है। जिन्हें अस्तिव में लाने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा है।
जिले में सिंचाई के लिए १०८ तालाबों को जलसंसाधन के देखरेख में रखा है। 49 तालाब 100 एकड़ से अधिक साइज के हैं। इनमें से 16 से लगभग ना के बराबर सिंचाई करते है। मामूली मरम्मत के बाद इन तालाबों से हजारों हेक्टेयर खेतों को सींचा जा सकता है, लेकिन अब तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है, वहीं पुरानी जल संरचना खत्म होने की कगार पर जा रही है। एक ओर जहां बारिश का पानी सहेजने वाले तालाबों को खत्म कर दिया।
५० फीसदी ही भर पाए थे तालाब
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले वर्ष की बारिश में जिले के तालाब ५० फीसदी ही भर पाए थे। जिसमें कई तालाबों में २० फीसदी, ३० फीसदी, ४० फीसदी, ५० फीसदी, ६० फीसदी तक ही पानी पहुंचा था। लेकिन सिंचाई के समय उनका पानी शलूस के नीचे पहुंच गया है। वहीं सुजारा बाध में भी १० फीसदी पानी बचा हैं, जो पर्यावरण को बचाने के लिए रखा है।
उजडऩे लगे कई तालाब
टीकमगढ़ नगर का महेंद्र सागर तालाब, वृंदावन तालाब, पठा का तालाब, माडूमर तालाब, हनुमान सागर तालाब, नारायणपुर तालाब, लडवारी तालाब, भेलसी तालाब, बनियानी तालाब, सरकनपुर तालाब, गोरा तालाब, दरगांय खुर्द तालाब, दरगांय कलां तालाब, बम्होरी बराना, दिनऊ तालाब के साथ अन्य तालाब उजडऩे की स्थिति में है। जिन रास्तों से बारिश का पानी तालाबों में आता था, वह रास्ते खत्म हो गए है।