


ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी भारत सरकार पाकिस्तान को ‘सबक’ सिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। भारत सरकार अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने की तैयारी में है। 22 से 30 मई के बीच भारत यूरोप और मिडिल ईस्ट के प्रमुख देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगा, जो पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों को उजागर करेगा। सूत्रों के अनुसार, इस प्रतिनिधिमंडल में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल होंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू विपक्षी नेताओं से इस अभियान में शामिल होने के लिए संपर्क कर रहे हैं। संभावित प्रतिनिधियों में शशि थरूर, मनीष तिवारी, असदुद्दीन ओवैसी और सुप्रिया सुले जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की पोल खोलने की तैयारी
इस प्रतिनिधिमंडल का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की आतंकियों को दी जा रही शह और भारत की आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई को वैश्विक नेताओं, थिंक टैंकों और मीडिया के सामने प्रस्तुत करना है। प्रतिनिधि दुनिया को यह समझाएंगे कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ था। पाकिस्तान ने समय रहते हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जिस पर भारत को मजबूरन पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को तबाह करना पड़ा।
आर्थिक मोर्चे पर भी कड़ा रुख
इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर भी सख्ती बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने पाकिस्तान से यूएई के माध्यम से आ रहे इन-ट्रांजिट माल की सख्त निगरानी शुरू कर दी है। सरकार को शक है कि पाकिस्तान से आने वाले खजूर और सूखे मेवे, यूएई के रास्ते भारत में चुपचाप घुसपैठ कर रहे हैं। इस मुद्दे पर भारत ने यूएई सरकार से भी औपचारिक बातचीत की है।