


पंच केदार में से एक चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली आज विधि विधान व पूजा अर्चना के बाद अपने शीत कालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ धाम के लिए प्रस्थान हुई । इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे समुद्र तल से 11 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर भगवान रुद्रनाथ का मंदिर है । जो एक पहाड़ी पर पत्थरों की गुफा में बना है। यह मंदिर चारों ओर मखमली बुग्यालों से घिरा है। यहां पर शिव की मुख की पूजा की जाती है। मंदिर ग्रीष्म काल में 6 माह मई से लेकर अक्टूबर तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। शीतकाल में 6 माह रुद्रनाथ भगवान की पूजा अर्चना गोपीनाथ मंदिर में की जाती
रात्रि विश्राम को पुन्गु पहुंचेगी डोली
गोपीनाथ मन्दिर में पूजा अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ की चल- विग्रह उत्सव डोली को श्रद्धालुओं ने जयकारे के साथ रुद्रनाथ धाम के लिए विदा किया। डोली आज रात्रि विश्राम को पुन्गु पहुंचेगी।और अगले दिन कल 17 मई को पनार बुग्याल होते हुए सांय को रुद्रनाथ धाम पहुंचेगी। 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रुद्रनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।रुद्रनाथ के मुख्य पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि आज गोपीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ की चल- विग्रह उत्सव डोली रोशन नाथ के लिए प्रस्थान कर चुकी है। जो कल 17 मई को रुद्रनाथ धाम पहुंचेगी और 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में रुद्रनाथ मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे मध्य प्रदेश से आए गोपाल, श्रीनगर के विभोर बहुगुणा व डॉ.सौम्य नेगी असवाल ने कहा कि आज उन्हें गोपीनाथ मंदिर में आने का सौभाग्य मिला है। गोपीनाथ के साथ उन्हें रुद्रनाथ भगवान की डोली के भी दर्शन प्राप्त हुए हैं।