भारत के विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने पायलटों, एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों (ATC) और एयरलाइनों को निर्देश दिया है कि वे जीपीएस स्पूफिंग या ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) में किसी भी तरह की गड़बड़ी की जानकारी पता लगने के 10 मिनट के भीतर दें। डीजीसीए ने कहा कि यह कदम उड़ान सुरक्षा और परिचालन की अखंडता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
सर्कुलर के अनुसार, “यदि किसी पायलट, एटीसी कंट्रोलर या तकनीकी टीम को जीपीएस सिस्टम में असामान्य गतिविधि जैसे लोकेशन में गड़बड़ी, नेविगेशन त्रुटि, सिग्नल लॉस या स्पूफिंग डेटा का पता चलता है, तो उसे तुरंत — यानी 10 मिनट के अंदर — रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।”
हाल ही में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के आसपास जीपीएस सिग्नल में हस्तक्षेप के कई मामले सामने आए हैं, जहां रोजाना 1,500 से अधिक उड़ानें संचालित होती हैं।
डीजीसीए ने सभी हितधारकों को निर्देश दिया है कि वे रिपोर्ट में तारीख, समय, विमान का प्रकार, पंजीकरण नंबर, रूट और प्रभावित क्षेत्र के निर्देशांक जैसी जानकारी शामिल करें।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया जाए कि गड़बड़ी का प्रकार (जैसे जामिंग, स्पूफिंग, सिग्नल लॉस या इंटीग्रिटी एरर) क्या था और कौन-से उपकरण प्रभावित हुए। यदि संभव हो, तो रिपोर्ट के साथ सिस्टम लॉग, स्क्रीनशॉट या फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम डेटा भी जोड़ा जाए।
नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 जीपीएस इंटरफेरेंस और स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें अधिकतर मामले अमृतसर और जम्मू जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में सामने आए।
डीजीसीए वर्तमान में दिल्ली एयरपोर्ट पर हुए हालिया स्पूफिंग मामलों की जांच कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह गड़बड़ी कितनी व्यापक है।
वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने भी जीएनएसएस स्पूफिंग और जामिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। सितंबर में यूरोपीय आयोग ने बताया था कि बुल्गारिया दौरे के दौरान यूरोपीय आयोग अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के विमान का जीपीएस रूस द्वारा जाम किया गया था।