उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े कॉपीराइट मुद्दों को हल करने के लिए अपनी कार्य-पत्र (वर्किंग पेपर) का पहला हिस्सा जारी किया है। मंत्रालय के अनुसार, यह दस्तावेज़ 28 अप्रैल को गठित 8-सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है, जिसे यह जांचने का काम सौंपा गया था कि मौजूदा कॉपीराइट कानून एआई के लिए पर्याप्त हैं या उनमें बदलाव की आवश्यकता है।
वर्किंग पेपर में दुनिया के कई मॉडल—जैसे AI ट्रेनिंग के लिए blanket exemption, टेक्स्ट-एंड-डेटा माइनिंग की छूट, ऑप्ट-आउट सिस्टम, स्वैच्छिक लाइसेंसिंग और एक्सटेंडेड कलेक्टिव लाइसेंसिंग—का अध्ययन किया गया। समिति ने निष्कर्ष निकाला कि इनमें से कोई भी मॉडल भारत की ज़रूरतों को पूरी तरह पूरा नहीं करता, क्योंकि भारत को ऐसी नीति चाहिए जो रचनाकारों के अधिकार भी सुरक्षित रखे और एआई नवाचार को भी बढ़ावा दे।
समिति ने “ज़ीरो प्राइस लाइसेंस” का विचार भी खारिज किया, जिसके तहत AI डेवलपर बिना किसी भुगतान के सभी सामग्री का इस्तेमाल कर सकते थे। समिति ने चेतावनी दी कि इससे मानव रचनाकारों की कमाई और रचनात्मकता पर गंभीर असर पड़ेगा और गुणवत्तापूर्ण सामग्री का उत्पादन घट सकता है।
इसके स्थान पर, समिति ने हाइब्रिड नीति मॉडल प्रस्तावित किया है। इसके तहत:
- AI डेवलपर किसी भी विधिसम्मत कंटेंट को ट्रेनिंग के लिए बिना व्यक्तिगत अनुमति के इस्तेमाल कर सकेंगे।
- लेकिन रॉयल्टी तब देनी होगी जब AI टूल्स का व्यावसायिक उपयोग शुरू होगा।
- रॉयल्टी दरें एक सरकारी समिति तय करेगी, और इन पर न्यायिक समीक्षा भी संभव होगी।
- रॉयल्टी के संग्रह और वितरण के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली बनाई जाएगी।
- DPIIT का मानना है कि यह मॉडल कानूनी जटिलताओं को कम करेगा, रचनाकारों को उचित भुगतान सुनिश्चित करेगा और बड़े-छोटे सभी AI डेवलपर्स के लिए पालन करना आसान बनाएगा।
- यह ड्राफ्ट अब सार्वजनिक सुझावों के लिए खोला गया है। अगले 30 दिनों में नागरिक, विशेषज्ञ और उद्योग प्रतिनिधि अपने सुझाव भेज सकेंगे, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की AI-कॉपीराइट नीति तय होगी।