इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने मंगलवार को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर गैर-सहमति वाले निजी या आपत्तिजनक कंटेंट (Non-Consensual Intimate Imagery – NCII) की रोकथाम और हटाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure – SOP) जारी की। यह पहल मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप तैयार की गई है, ताकि पीड़ित-केंद्रित और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। इसके तहत, इंटरमीडियरीज़ को अब किसी भी शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित कंटेंट हटाना या उसकी पहुँच बंद करनी होगी।
पीड़ित व्यक्ति ऐसे मामलों की शिकायत वन स्टॉप सेंटर (OSC), राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), या संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इन-ऐप रिपोर्टिंग सिस्टम के माध्यम से कर सकते हैं।
सभी इंटरमीडियरी, जिनमें प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (SSMIs) शामिल हैं, को अब हैश-मैचिंग और क्रॉलर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ऐसे कंटेंट की दोबारा पोस्टिंग रोकनी होगी। साथ ही उन्हें अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार के सहयोग (Sahyog) पोर्टल से साझा करनी होगी, जो गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के तहत संचालित है।
इस SOP के तहत I4C को केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है, जो शिकायतों को समन्वित करेगी और NCII हैश बैंक बनाए रखेगी। वहीं दूरसंचार विभाग (DoT) इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर चिन्हित URL को ब्लॉक करेगा।
MeitY इन प्रावधानों की निगरानी करेगा और सभी हितधारकों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा।
सरकार का कहना है कि यह SOP विशेष रूप से महिलाओं की डिजिटल सुरक्षा और गरिमा की रक्षा की दिशा में एक अहम कदम है, जो ऑनलाइन पारिस्थितिकी को अधिक सुरक्षित और जवाबदेह बनाएगी।