छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने देश के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूज़ियम शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण किया।
डिजिटल तकनीक से सजी आदिवासी वीरता की कहानी
बता दें कि आधुनिक और डिजिटल संग्रहालय छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान की अमर गाथा को समर्पित है। यहां 14 गैलरियों के माध्यम से राज्य के जननायकों की गाथाएं जीवंत हो उठती हैं। संग्रहालय में करीब 650 मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो आदिवासी विद्रोहों और आंदोलनों के ऐतिहासिक क्षणों को दर्शाती हैं।
यहां हल्बा विद्रोह, परलकोट विद्रोह, झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह जैसे आंदोलनों को सजीव झांकियों और मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। प्रत्येक गैलरी में मल्टीमीडिया, वीएफएक्स और प्रोजेक्शन तकनीक का उपयोग कर उस दौर के संघर्षों को संवेदनशील ढंग से दिखाया गया है। इसके अलावा, सेनानियों द्वारा उपयोग किए गए पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं, जो दर्शकों को इतिहास से जोड़ते हैं।
देश का पहला डिजिटल ट्राइबल म्यूज़ियम
करीब 45 करोड़ रुपये की लागत से 10 एकड़ क्षेत्र में बने इस संग्रहालय को देश का पहला डिजिटल ट्राइबल म्यूज़ियम माना जा रहा है।
मोबाइल से स्कैन करते ही मिलेगी जानकारी
संग्रहालय की प्रत्येक झांकी के साथ विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने डिजिटल बोर्ड लगाए गए हैं। दर्शक मोबाइल फोन से स्कैन कर विद्रोह, उसके नायकों और उसके प्रभाव की जानकारी पढ़ सकेंगे। अधिकारियों के अनुसार संग्रहालय में आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए वीएफएक्स और प्रोजेक्शन के माध्यम से ऐतिहासिक घटनाओं को दिखाया गया है।
संग्रहालय के निर्माण में सरगुजा और बस्तर के साथ कोलकाता तथा मुंबई के कलाकारों और इतिहास विशेषज्ञों का सहयोग लिया गया है।