मशहूर बॉलीवुड फिल्म ‘शोले’ का डायलाग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ अक्सर हम लोग महफ़िलों में सुनते हैं या फिर अचानक किसी बैठक में थम चुकी बातचीत के बीच पैदा हुई चुप्पी को तोड़ने के लिए हम में से कोई एक बोल देता है कि अरे ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई ?’ लेकिन इस डायलाग को बोलने वाले अवतार किशन हंगल उर्फ़ AK HANGAL के बारे में आज हम आपको कुछ ऐसा बताने वाले हैं जो शायद आपको अब तक नहीं पता होगा !
हमेशा उम्रदराज किरदारों में ही क्यों दिखे हंगल साहब ?
दरअसल ए के हंगल साहब की कहानी शुरू होती है पंजाब के सियालकोट में जोकि अब पाकिस्तान के हिस्से में है, जहां कश्मीरी पंडित के घर में 1 फरवरी, 1914 को इनका जन्म हुआ और पढाई-लिखाई भी पेशावर में ही पूरी की, इसके बाद आय के लिए दर्ज़ी का काम किया और लंबे वक़्त तक इसी काम को करते रहे !
दर्ज़ी का काम करके वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे और साथ में अपने शौक के हिस्से थोडा समय देकर कई सालों तक स्टेज आर्टिस्ट का काम करते रहे !
आज़ादी की लडाई में हिस्सा लेते हुए ए के हंगल ने भी अपना योगदान दिया और तीन साल तक जेल में सज़ा भी काटी और जेल से बहार आने के बाद वो अपने परिवार को लेकर मुंबई शिफ्ट हो गए !
जिस उम्र में लोग काम से रिटायर होने की सोचते हैं उस उम्र में हंगल साहब ने फिल्मों में कदम रखा इसलिए उनकी उम्र के हिसाब से जो किरदार उन्हें मिलते थे वो आमतौर पर बड़े-बुजुर्गों के ही होते थे इसलिए हंगल साहब हमेशा उम्रदराज किरदारों में ही दिखे !
उम्र के आखिरी पड़ाव में आर्थिक स्थिति थी खराब –
ए के हंगल साहब उम्र के आखिरी पड़ाव पर अपने बेटे के साथ एक छोटे से घर में रहते थे. एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं बचे थे. तब कई कलाकारों ने उनकी मदद की. एक बार घर में बाथरूम में फिसलकर गिरने से उनकी जांघ की हड्डी टूट गई और पीठ में भी गहरी चोट आई थी. लगातार इलाज के बाद हालत बिगड़ती जा रही थी. आखिरकार 26 अगस्त, 2012 को एके हंगल इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे !
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