रक्षाबंधन पर बनेगा दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और सुरक्षा के रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उनकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि की कामना करती है।
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रक्षाबंधन हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और सुरक्षा के रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उनकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि की कामना करती है। इसके साथ ही भाई बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है। इस साल श्रावण पूर्णिमा की तिथि दो दिन होने के कारण इस साल काफी कंफ्यूजन बना हुआ है कि किस दिन राखी का पर्व मनाना लाभकारी हो सकता है।

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक।

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

सौभाग्य योग- सुबह 4 बजकर 8 मिनट से 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक।

रक्षाबंधन पर दुर्लभ संयोग

साल 2025 में रक्षाबंधन के दिन नक्षत्र, वार, राखी बांधने का समय, पूर्णिमा तिथि का आरंभ और अंत लगभग 1930 के रक्षाबंधन के दिन की तरह ही है। इसलिए ज्योतिषाचार्यों के द्वारा इसे दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। 1930 में रक्षाबंधन 9 अगस्त को ही मनाया गया था और उस दिन भी शनिवार ही था। ठीक इसी तरह 2025 में ही 9 अगस्त को ही रक्षाबंधन है और इस साल भी रक्षाबंधन पर शनिवार ही है। 1930 में सावन पूर्णिमा और 2025 की सावन पूर्णिमा की शुरुआत का समय भी लगभग एक जैसा है। 1930 में भी सौभाग्य योग और श्रवण नक्षत्र था जो इस साल भी है। इसीलिए ज्योतिषाचार्य इसे बेहद दुर्लभ संयोग मान रहे हैं। आइए अब जान लेते हैं कि रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के लिए सबसे शुभ समय और शुभ योगों के बारे में।

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

देशभर में राखी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भाई-बहन के प्रेम, विश्वास का प्रतीक राखी के दिन बहनें भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है। मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी ने सबसे पहले राजा बलि को राखी बांधी थी। इसके अलावा श्री कृष्ण को दौपद्री ने बांधी थी। जिसके बाद से ही राखी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर पाताल लोग से भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ लाने का उपाय खोजा था।

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