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Sanjay Purohit
भाषा को बंधन नहीं, सेतु बनाए – संघीय ढांचे की आत्मा को समझे
भारत विविधताओं का अद्भुत संगम है—यहां हर कुछ किलोमीटर पर बोली, संस्कृति और रहन-सहन बदल जाता है। इस विविधता के बीच "भाषा" केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान, स्वाभिमान और संवैधानिक अधिकारों का प्रतीक बन चुकी है। लेकिन जब भाषा को "राष्ट्रवाद" के चश्मे से देखा जाता है और किसी एक भाषा को अन्य पर वरीयता देने की कोशिश होती है, तब यह लोकतंत्र की आत्मा—संघीय ढांचे—को चुनौती देती है।
54 views • 2025-07-08
Sanjay Purohit
मन का रहस्य: सरलता में छुपा अनंत जटिलता का संसार
मन—दो अक्षरों का यह छोटा-सा शब्द, सुनने में जितना सहज और कोमल लगता है, अनुभव में उतना ही जटिल, अनगिनत रहस्यों से भरा, और चेतना की गहराइयों में उतरने वाला प्रतीत होता है। यह शब्द न केवल वर्तमान, अतीत और भविष्य को अपने भीतर समेटे हुए है, बल्कि यह स्वप्नों, अनुभूतियों और अज्ञात लोकों की यात्रा का वाहक भी बन जाता है।
78 views • 2025-07-07
Sanjay Purohit
सनातन धर्म और चातुर्मास: साधना, संयम और आत्मशुद्धि का अनुपम संगम
सनातन धर्म की परंपराएं केवल धार्मिक रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये मानव जीवन को प्रकृति, ब्रह्मांड और आत्मा से जोड़ने वाले आध्यात्मिक सूत्रों का सजीव प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आध्यात्मिक रूप से उन्नत अवधारणा है – चातुर्मास, जिसे सनातन धर्म में आत्मशुद्धि, साधना और ब्रह्मचर्य का स्वर्णकाल माना गया है।
21 views • 2025-07-06
Sanjay Purohit
केमिकल से पकाए फलों का सच: स्वास्थ्य के लिए मीठा ज़हर
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जब हम स्वास्थ्य को लेकर सजग होते जा रहे हैं, तब हमारे भोजन का सबसे आवश्यक और प्राकृतिक भाग — फल — अब संदेह के घेरे में है। फल, जो कभी जीवन शक्ति और पोषण का प्रतीक माने जाते थे, अब तेजी से मुनाफ़ा कमाने की लालसा में केमिकल से पकाए जा रहे हैं, और यह प्रक्रिया हमारे स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डाल रही है।
88 views • 2025-07-03
Sanjay Purohit
मनःक्रांति: सोच बदलिए, जीवन स्वयं बदल जाएगा
मनुष्य के भीतर छुपी मनःशक्ति एक ऐसा अमूल्य खजाना है, जिसे समझ पाना और सही दिशा में उपयोग कर पाना जीवन को पूर्णतः रूपांतरित कर सकता है। यह शक्ति न केवल हमारी सोच और व्यवहार को प्रभावित करती है, बल्कि हमारे भाग्य, स्वास्थ्य, सफलता और आध्यात्मिक प्रगति का भी आधार बन सकती है।
82 views • 2025-06-28
Sanjay Purohit
नारायणी नमोस्तुते: शक्ति, समाज और चेतना का आंतरिक संगम
"नारायणी नमोस्तुते" — यह उद्घोष न केवल श्रद्धा का प्रकटन है, बल्कि यह चेतना की एक चिंगारी, सांस्कृतिक चेतावनी और मनोवैज्ञानिक संतुलन का मार्गदर्शन भी है। यह कोई साधारण स्तुति नहीं, बल्कि उस दिव्यता का स्मरण है, जो सृजन, संरक्षण और संहार — तीनों शक्तियों को समाहित करती है।
28 views • 2025-06-26
Sanjay Purohit
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: शक्ति, तंत्र और मौन साधना का महापर्व
जब आषाढ़ मास की अमावस्या का अंधकार धरती पर उतरता है, और वर्षा की पहली बूंदें वायुमंडल को तपश्चरण की गंध से भर देती हैं — तभी प्रकृति के गर्भ में एक रहस्यमयी पर्व जन्म लेता है: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि। यह पर्व उतना ही रहस्यमय है जितना कि उसका नाम। यह वह क्षण होता है जब देवी दुर्गा की शक्तियाँ अपने गुप्त रूपों में प्रकट होती हैं — तांत्रिक ऊर्जा के उस सूक्ष्म लोक से, जिसे केवल साधना की दीप्ति में देखा जा सकता है।
44 views • 2025-06-25
Sanjay Purohit
स्त्री की दस्तक: दीवारों से दरवाज़ों तक
स्त्री अब सिर्फ़ सामाजिक मर्यादाओं की संरक्षिका नहीं, बल्कि उन दीवारों को तोड़ने वाली शक्ति बन चुकी है, जिन्हें सदियों से उसके चारों ओर खड़ा किया गया था। उसकी यह दस्तक अब धीमी नहीं, बल्कि बदलाव की आहट बन चुकी है।
47 views • 2025-06-24
Sanjay Purohit
मन: बंधन से मुक्ति की यात्रा
आध्यात्मिक दृष्टि से मन वह माध्यम है, जिसके द्वारा आत्मा संसार से संबंध स्थापित करती है। यह न तो पूर्णतः शरीर है, न ही पूर्णतः आत्मा—बल्कि इन दोनों के बीच की एक सूक्ष्म सत्ता है। मन ही वह उपकरण है जो आत्मा को संसारिक अनुभव देता है। जब मन शांत और शुद्ध होता है, तब आत्मा अपनी दिव्यता को प्रकट कर सकती है।
248 views • 2025-06-23
Sanjay Purohit
सुरों का सुनहरा सफर: हिंदी फिल्मी गीतों का स्वर्णकाल
हिंदी फिल्मी गीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहे, बल्कि भारतीय समाज की भावनाओं, संस्कारों और संस्कृति के प्रतिबिंब भी बने हैं। विशेष रूप से 1940 से 1970 तक का समय "स्वर्णकाल" (Golden Era) कहा जाता है, जब गीतों में गहराई, शब्दों में काव्यात्मक सौंदर्य और धुनों में आत्मा बसती थी। यह काल भारतीय सिनेमा की सांगीतिक यात्रा का अमूल्य खजाना है।
78 views • 2025-06-23
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