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Sanjay Purohit
बाहर-भीतर उजाले के साथ फैलाए सर्वत्र खुशहाली
अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, दुष्चरित्रता पर सच्चरित्रता की और निराशा पर आशा की जीत का पर्व दीपावली भारतीय संस्कृति व सामाजिक दर्शन का मूल भाव दर्शाता है। पारंपरिक रूप से इस मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ खुशहाली की कामना समाज के हर वर्ग के लिए है जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है। दूसरे पर्वों की तरह यह पर्व भी प्रकृति व सामाजिक परिवेश के प्रति दायित्व निभाने का संदेश लिये है। मसलन हम पारंपरिक उद्यमों से निर्मित सामान खरीदकर उन्हें संबल दें।
30 views • 2025-10-19
Sanjay Purohit
फिल्मी दिवाली में प्रतीकों के जरिये बहुत कुछ कहने की परंपरा
फिल्मों में हर त्योहार का अपना अलग प्रसंग और संदर्भ है। होली जहां मस्ती के मूड, विलेन की साजिश के असफल होने और नायक-नायिका के मिलन का प्रतीक बनता है। जबकि, दिवाली का फ़िल्मी कथानकों में अलग ही महत्व देखा गया। जब फ़िल्में रंगीन नहीं थी, तब भी दिवाली के दृश्य फिल्माए गये। पर, वास्तव में दिवाली को प्रतीकात्मक रूप ज्यादा दिया गया। अधिकांश पारिवारिक फिल्मों में दिवाली मनाई गई, पर सिर्फ लक्ष्मी पूजन, रोशनी और पटाखों तक सीमित नहीं रही। दिवाली की रात फिल्मों के कथानक में कई ऐसे मोड़ आए जिनका अपना अलग भावनात्मक महत्व रहा है।
123 views • 2025-10-18
Sanjay Purohit
धनतेरस: दीपावली के प्रकाश पर्व की आध्यात्मिक शुरुआत
दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।
95 views • 2025-10-17
Sanjay Purohit
गांधी जयंती विशेष: आज की दुनिया में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता
आज जब पूरी दुनिया हिंसा, युद्ध, जलवायु संकट, आर्थिक असमानता और मानवीय संवेदनाओं के क्षरण से जूझ रही है, ऐसे समय में महात्मा गांधी के सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक दिखाई देते हैं। गांधीजी का जीवन कोई बीता हुआ अध्याय नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो आज के अंधकारमय परिदृश्य में मार्गदर्शन करता है।
109 views • 2025-10-02
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
255 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
शक्ति का दर्शन : सनातन परंपरा में शाक्त मार्ग और नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
सनातन परंपरा के विशाल आध्यात्मिक आकाश में शक्ति की साधना एक अद्वितीय और प्राचीन प्रवाह है। शाक्त दर्शन केवल किसी देवी की पूजा का भाव नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त ऊर्जा, चेतना और जीवन के रहस्यों को समझने का मार्ग है।
118 views • 2025-09-21
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
194 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
241 views • 2025-09-05
Sanjay Purohit
संतति, संस्कृति और पितृपक्ष : सनातन परंपरा का जीवंत संवाद
सनातन संस्कृति की गहराई को समझना हो तो पितृपक्ष उसका सबसे जीवंत आयाम है। यह केवल 16 दिन का कर्मकांड नहीं है, बल्कि संतति और पूर्वजों के बीच संवाद का अवसर है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के दार्शनिक रहस्य को यह पर्व अपने भीतर समेटे हुए है।
273 views • 2025-09-02
Sanjay Purohit
गणेश: कालजयी सनातन संस्कृति के संवाहक
भारत की सनातन संस्कृति में यदि किसी देवता को सहजता, अपनापन और निकटता का प्रतीक माना जाए तो वह विघ्नहर्ता श्री गणेश हैं। हर शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का संदेश है—“आरंभ शुभ हो, पथ सरल हो और बुद्धि निर्मल हो।” यही कारण है कि गणेश केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के ऐसे संवाहक हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवन को दिशा देते आए हैं।
198 views • 2025-08-19
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