IND Editorial

Sanjay Purohit
आंतरिक शक्तियों के जागरण के लिए मौन साधना का महत्व
आध्यात्मिक परंपरा में मौन को एक महत्वपूर्ण साधना के रूप में माना गया है। यह न केवल बाहरी वाणी पर नियंत्रण रखता है, बल्कि मन की शांति और आंतरिक ऊर्जा को भी जागृत करता है। मौन का अभ्यास मनुष्य को अपने अंत:करण की शुद्धि, मानसिक संतुलन और आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
78 views • 2025-05-12
Sanjay Purohit
अखंड सिंदूर पर आंच और भारतीय रणबाकुरो का प्रचंड प्रहार
उजड़े सिंदूर की पुकार के बाद सर्जिकल स्ट्राइक बनी हुंकार क्योंकि एक चुटकी सिंदूर, यह मात्र एक रंग नहीं, यह एक अहसास है, एक अटूट बंधन है जो दो आत्माओं को जन्म जन्मान्तरों के लिए बांध देता है। यह उस वादे की निशानी है जो एक पुरुष अपनी जीवनसंगिनी को देता है – हमेशा साथ निभाने का, हर सुख-दुख में उसका सहारा बनने का।
93 views • 2025-05-09
Sanjay Purohit
चाणक्य नीति के अनुसार पहलगाम हमले के आतंकियों को क्या सजा मिलनी चाहिए
पहलगाम हमले के बाद से भारत में आतंकियों के खिलाफ काफी गुस्सा है। हर किसी के मन में है कि आतंकियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और उनके मददगारों का भी नाश होना चाहिए। आतंकियों को दुष्ट की श्रेणी में रखा जाता है।
139 views • 2025-04-25
Sanjay Purohit
ग्लेशियर संकट : खाद्य और जल सुरक्षा को गंभीर चुनौती
बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन ग्लेशियरों के विनाश का प्रमुख कारण बन रहे हैं। यह केवल बर्फ के पिघलने का संकट नहीं, बल्कि एक विनाशकारी सुनामी की तरह है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, द्वीप और तटीय इलाके डूब रहे हैं, बाढ़ और सूखा बढ़ रहे हैं, और नदियां संकट में हैं।
99 views • 2025-04-20
Sanjay Purohit
धर्म रक्षार्थ गुरु गोविंद सिंह जी ने कैसे की खालसा पंथ की स्थापना ?
खालसा का अर्थ होता है शुद्ध या पवित्र. गुरु गोविंद सिंह जी ने देशभर से अपने मानने वालों को 30 मार्च 1699 को आनंदपुर साहिब बुलाया. बैसाखी के मौके पर गुरु ने कृपाण लहराकर कहा था कि धर्म और मानवता को बचाने के लिए मुझे पांच शीश चाहिए. कौन-कौन मुझे सहर्ष शीश प्रदान करेगा.
222 views • 2025-04-13
Sanjay Purohit
खुशियों और समृद्धि का पर्व- बैसाखी
बैसाखी का पर्व हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है और यह खासतौर पर उत्तर भारत में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ है और नई फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। साथ ही, बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए धार्मिक महत्व भी रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
256 views • 2025-04-13
Sanjay Purohit
इंसान के अंदर ही खुशी का झरना
खुशी एक ऐसा तत्व है जो अंतर्मन को जाग्रत करने से मिलती है। यह नि:शुल्क है लेकिन फिर भी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए ही दुनिया में लोग लाखों-करोड़ों खर्च करते हैं। उसके बाद भी प्रसन्नता की कोई गारंटी नहीं होती।
136 views • 2025-03-25
Sanjay Purohit
होली: रंगों और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिलन
रंग हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जो न केवल हमारे आसपास के वातावरण को जीवंत बनाते हैं, बल्कि हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं। प्रत्येक रंग की अपनी ऊर्जा और प्रभाव होता है, जो हमें आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त करने में मदद करता है।
173 views • 2025-03-15
Sanjay Purohit
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: समानता के लिए बदलाव की बुनियाद बने परिवार
देश-दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान उल्लेखनीय है लेकिन लैंगिक भेदभाव और असमानता की स्थितियां उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने में बाधा है। उनके सशक्तीकरण के लिए ऐसा प्रेरणादायी पारिवारिक-सामाजिक ताना-बाना चाहिये जिसमें उन्हें हर स्तर पर प्रोत्साहन-प्रशंसा मिले।
121 views • 2025-03-08
Sanjay Purohit
बेतार से जुड़ते दिल-विल प्यार-व्यार
आज के डिजिटल युग में प्यार रचाना बहुत सुविधाजनक हो गया है, फिर भी न तो प्रेमियों ने पेड़ों पर लटकना बंद किया और न ही ज़हर गटकना कम किया। प्रेम की जो अभिव्यक्ति पहले महीनों-सालों तक की लम्बी हुआ करती, अब कुछ क्लिक की दूरी पर है।
162 views • 2025-02-20