


आज विश्व कछुआ दिवस है। कछुओं को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कुछ लोग बुद्धिमानी का प्रतीक भी मानते हैं। इसलिए लोगों में कछुओं के प्रति दीवानगी बढ़ रही है। उनके अनोखे रूप, पर्यावरण के लिए महत्व और सांस्कृतिक महत्व के कारण कछुओं को सम्मान के रूप में देखा जाता है। राजधानी के वन विहार में प्रदेश का इकलौता कछुआ प्रजनन केंद्र भी है। जहां देशी और विदेशी किस्म के 70 से अधिक कछुए पले हैं। इनका वजन 50 किलो से लेकर सौ ग्राम तक है।
10 से ज्यादा किस्में
वन विहार में वन्य प्राणियों के साथ ही कछुओं के सेंटर में 10 किस्मों के 70 से अधिक कछुए हैं। 30 पहाड़ी कछुए भी हैं। जिनका जमीन पर ही रहवास है। ये शाकाहारी होते हैं। इन्हें सब्जियां खिलाई जाती हैं।
कछुओं की ब्रीडिंग भी
वन विहार को कछुओं के ब्रीडिंग सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। हाल में ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां के कुछ कछुओं को नेचुरल आवास में छोड़कर इनकी प्रजाति बढ़ाने के लिए भी कहा था।
दक्षिण अफ्रीका का भी कछुआ
वन विहार में दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले सलकटा प्रजाति के छह कछुए भी हैं। वन विभाग ने इन्हें तस्करी में पकड़ा था। यहां 50 किलो वजन का पातक प्रजाति का कछुआ भी है। जिसे शाहजंहानाबाद से रेस्क्यू कर लाया गया था।
कछुओं को वन विहार से मिली नई पहचान
प्रदेश में कछुओं के लिए वन विहार से नई पहचान मिलेगी। यहां सेंटर विकसित किया गया है। यहां कछुओं के अनुकूल आवास व्यवस्था है।