


वॉशिंगटन, चीनी मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने अपने एफ-35 लड़ाकू विमानों को उतारने का फैसला किया है। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हवाई ठिकानों पर लगातार चीनी मिसाइलों की बारिश होनेका खतरा बना रहता है। जिसके जवाब में अमेरिकी वायुसेना ने हाल ही में एक टेस्ट किया है, जिसका मकसद F-35 लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता को बढ़ाना था। अमेरिकी वायुसेना ने 59वें टेस्ट और मूल्यांकन स्क्वाड्रन ने नेवादा के नेलिस एयर फोर्स बेस पर ये टेस्ट किया है। इस दौरान F-35 लाइटनिंग II फाइटर जेट को मिसाइल हमलों के खिलाफ करारा जवाब देने का परीक्षण किया गया है।
चीनी मिसाइलों के खिलाफ एफ-35 लड़ाकू विमान
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी वायुसेना ने अपने कुछ और लड़ाकू विमानों के साथ इसी तरह के टेस्ट किए हैं। लेकिन एफ-35 एक फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट है और उसके साथ ऐसा परीक्षण करना, चीन के खिलाफ अमेरिका की आक्रामक तैयारियों को दिखाता है। अमूमन होता ये है कि फाइटर जेट में ईंधन भरने के दौरान या मिसाइलों को लैस करने के दौरान पायलट उसका इंजन बंद कर देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान करीब 3 घंटों का वक्त लगता है और इस दौरान फाइटर जेट असुरक्षित रहता है। लेकिन इंजन चालू रहने से पेलोड समय तीन घंटे से काफी कम हो जाएगा।
चीनी मिसाइलों से अमेरिका एयरबेस खतरे में!
अमेरिकी वायुसेना ने हमेशा से अमेरिका के सहयोगियों को आश्वासन दिया है कि युद्ध की स्थिति में उसके पास दुश्मनों को रोकने की क्षमता है। लेकिन चीन की आक्रामकता ने अमेरिका की स्थिति को खतरे में डाल दिया है। चीन ने पिछले 30 सालों में इंडो-पैसिफिक में अमेरिकी वायुसेना के लिए कई खतरे के द्वार खोल दिए हैं। अमेरिकी एयरबेस पर हमला करने के लिए अपनी शक्ति में इजाफा किया है। और मिसाइलों के ठिकाने बनाए हैं। जिनकी वजह से अमेरिकी एयरफोर्स के रास्ते में कई खतरे बने हैं। कई डिफेंस एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास अब अमेरिकी सैन्य विमानों की एक बड़ी संख्या को बेअसर करने की मिसाइल क्षमता है।