नरक चतुर्दशी : माँ धूमावती प्रकटोत्सव — जब प्रकाश अंधकार के भीतर से जन्म लेता है
दीपावली से एक दिन पूर्व आने वाली नरक चतुर्दशी केवल “नरक से मुक्ति” का प्रतीक पर्व नहीं है, बल्कि यह अध्यात्म में प्रकाश और अंधकार के गहन संतुलन का प्रतिनिधित्व करती है। यह तिथि महाविद्या माँ धूमावती के प्रकटोत्सव के रूप में भी जानी जाती है — जो संसार को यह सिखाती हैं कि प्रकाश हमेशा अंधकार की गोद से ही जन्म लेता है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 16 अक्टूबर 2025
231
0
...

दीपावली से एक दिन पूर्व आने वाली नरक चतुर्दशी केवल “नरक से मुक्ति” का प्रतीक पर्व नहीं है, बल्कि यह अध्यात्म में प्रकाश और अंधकार के गहन संतुलन का प्रतिनिधित्व करती है। यह तिथि महाविद्या माँ धूमावती के प्रकटोत्सव के रूप में भी जानी जाती है — जो संसार को यह सिखाती हैं कि प्रकाश हमेशा अंधकार की गोद से ही जन्म लेता है। माँ धूमावती का स्वरूप रहस्यमयी, त्यागमयी और पूर्ण वैराग्य का प्रतीक है। वह श्मशान की निस्तब्धता में भी मोक्ष और सत्य की वाणी बोलती हैं।

वेदों में मंत्र है — “तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात् अंधकार से हमें ज्योति की ओर ले चलो। माँ धूमावती इसी वेदवाक्य की साकार व्याख्या हैं। ‘धूम’ का अर्थ है धुआँ और ‘अवती’ का अर्थ है धारण करने वाली — इस प्रकार धूमावती वह शक्ति हैं जो अग्नि के बाद शेष रहे अनुभव, बोध और विरक्ति को धारण करती हैं। ‘रुद्रयामल तंत्र’ और ‘तंत्रसार’ में उल्लेख है कि जब माता पार्वती ने शिव को अपने भीतर समा लिया, तब शिव ने उन्हें धूमरूप में प्रकट किया ताकि संसार समझ सके कि शक्ति और शिव एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।

नरक चतुर्दशी को काली चौदस भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, जो अहंकार, मोह और विषयासक्ति का प्रतीक था। परंतु शाक्त परंपरा के अनुसार यह वध भीतर के अंधकार के विनाश का प्रतीक है। जब साधक अपने भीतर के “नरकासुर”— अर्थात् नकारात्मक प्रवृत्तियों — का नाश करता है, तभी वह आत्मिक रूप से मुक्त होता है। माँ धूमावती का स्वरूप इसी मुक्ति का मार्ग है। वह वैराग्य की देवी हैं, जो साधक को आसक्ति और मोह से परे ले जाती हैं।

तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि में माँ धूमावती प्रकट हुईं। उनका क्षेत्र श्मशान माना जाता है, क्योंकि वहाँ अहंकार का अंतिम संस्कार होता है। जहाँ सब कुछ मिट जाता है, वहीं सत्य का उदय होता है। यही है धूमावती के प्रकटोत्सव का गूढ़ रहस्य — अंत के भीतर से आरंभ की उत्पत्ति।

धूमावती साधना का उद्देश्य भय या विध्वंस नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण है। वह सिखाती हैं कि जीवन के हर दुःख, हानि और मोह का धुआँ भी अनुभव का एक रूप है, जिसे बोध में परिवर्तित किया जा सकता है।

दीपावली की श्रृंखला में नारक चतुर्दशी वह बिंदु है जहाँ साधक अंधकार से प्रकाश की यात्रा आरंभ करता है। माँ धूमावती का संदेश है — “अंधकार से मत डरो, क्योंकि उसी में ज्ञान का बीज छिपा है।” जो साधक इस दिन अपने भीतर के अंधकार को जला देता है, वही सच्चे अर्थों में दीपावली के प्रकाश का अधिकारी बनता है।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Sanjay Purohit
माघ मेला 2026: क्या है दंडी बाड़ा? कैसी है दंडी संन्यासियों की दुनिया
माघ मेला में दंडी बाड़ा का बड़ा महत्व माना जाता है। इस बार प्रयागराज के माघ मेला में दंडी संत-संन्यासियों से फिर मिलने का भक्तों को अवसर मिल सकता है। दंडी संन्यासी बनने के लिए कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है।
120 views • 2025-12-06
Sanjay Purohit
सुख-समृद्धि के लिए किचन से जुड़े इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान, बनी रहेगी मां अन्नपूर्णा की कृपा
रसोई में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाना एक धार्मिक परंपरा है जो भोजन के प्रति कृतज्ञता को दर्शाती है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ आता है। यही वजह है कि रसोई से जुड़े कुछ नियमों का सभी को जरूर ध्यान रखना चाहिए।
36 views • 2025-12-05
Sanjay Purohit
विवाह में दुल्हन को क्यों पहनाया जाता है लाल जोड़ा?
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों के बारे में बताया गया है. इन्हीं संस्कारों में एक संस्कार है विवाह. विवाह के बाद गृहस्थ जीवन की शुरुआत हो जाती है. हिंदू विवाह में कई परंपराएं रस्में की जाती हैं, जो बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण होती हैं.
407 views • 2025-12-03
Richa Gupta
भगवद गीता का पूरा लाभ पाने के लिए इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें
गीता जयंती 2025 पर भगवद गीता का पाठ करते समय इन जरूरी नियमों का पालन करें और जीवन में इसके उपदेशों से पूर्ण लाभ प्राप्त करें।
154 views • 2025-11-29
Sanjay Purohit
रोज शाम को घर में इन जगहों पर जलाए दीपक, बढ़ेगी सुख-समृद्धि!
हिंदू धर्म में शाम का समय बहुत पावन माना जाता है.वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में इस समय में घर के कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने के लिए कहा गया है. इस स्थानों पर रोज शाम के समय घी या तेल का दीपक जलाना चाहिए.
115 views • 2025-11-28
Sanjay Purohit
काला रंग अशुभ, फिर भी मंगलसूत्र के मोती काले क्यों होते हैं?
मंगलसूत्र सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं में काले रंग को अशुभ माना गया है और ऐसे में कई महिलाओं के मन में सवाल आता है कि जब काला रंग अशुभ है तो मंगलसूत्र के मोती काले क्यों होते हैं.
282 views • 2025-11-24
Sanjay Purohit
विवाह पंचमी के दिन करें ये काम, भरा रहेगा धन का भंडार!
विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की पूजा करने से शुभता का आगमन होता है, लेकिन विवाह पंचमी के दिन विवाह नहीं किया जाता. हालांकि इस दिन कुछ विशेष काम करने से घर में धन का भंडार भरा रहता है.
88 views • 2025-11-21
Richa Gupta
तुलसी माला पहनते समय ध्यान रखें ये बातें, मिलेगा शुभ फल
तुलसी माला पहनते समय कुछ खास बातें ध्यान में रखनी चाहिए। सही विधि और आचार से तुलसी माला से मिलेगा अधिक शुभ और सकारात्मक प्रभाव।
182 views • 2025-11-19
Richa Gupta
देशभर के पांच प्रमुख वराह मंदिर और उनकी ऐतिहासिक महिमा
भारत में विराजमान भगवान वराह के पांच प्रमुख मंदिर, जिनमें पुष्कर, तिरुविदंदाई, सिमाचलम, खजुराहो और बदामी शामिल हैं। जानिए इतिहास और महत्व।
159 views • 2025-11-13
Sanjay Purohit
क्या पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा में शामिल होंगे संत प्रेमानंद महाराज?
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ शुरू की गई है। यह यात्रा मंगलवार को दिल्ली से शुरू हुई और 10 दिन चलेगी। इसका समापन 16 नवंबर को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में किया जाएगा। यात्रा की शुरुआत ने पूरे देश में धार्मिक माहौल को गर्मा दिया है।
398 views • 2025-11-12
...