


संतोष शर्मा
- बाला साहेब की शिवसेना पर अस्तित्व संकट
- चुनाव आयोग का शिंदे-ठाकरे को नोटिस
- 8 अगस्त तक दस्तावेज तलब किए
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना अस्तित्व के संकट में फंस गई है। तीर कमान कौन चलाएगा ये अभी तक तय नहीं हो पाया है। बाला साहेब की शिवसेना के सरताज को लेकर शिंदे और उद्धव खेमा आमने-सामने है। चुनाव आयोग ने सीएम शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट को नोटिस जारी किया है। जिसमें आयोग ने दोनों से 8 अगस्त तक शिवसेना पर दावे से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। वहीं दूसरी ओर सु्प्रीम कोर्ट में भी ये मामला विचाराधीन है। दोनों खेमों की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर की गईं है, जिस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच 1 अगस्त को सुनवाई करेगी।
कार्यकारिणी समर्थन के सहारे ठाकरे गुट
एकनाथ शिंदे की बगावत का असर ये हुआ की महाराष्ट्र में तखता पलट हो गया और उद्धव सरकार जमीन पर आ गिरी। मसला यहीं तक सीमित रहा होता तो भी ठीक था, लेकिन देखते ही देखते मामला शिवसेना के अस्तित्व पर जा पहुंचा और दोनों खेमों की तरफ से शिवसेना को लेकर दावे ठोंक दिए गए। शिवसेना को लेकर दोनों खेमों के अपने-अपने दावे हैं। सीएम शिंदे खेमा 55 में से 40 विधायकों और 12 सांसदों के समर्थन पर तीर कमान अपने हाथ रखना चाहता है। वहीं ठाकरे खेमा पार्टी के संवैधानिक मसौदे को बड़ा जरिया मान रहा है।
बालासाहेब ने ये बनाया था मसौदा
शिवसेना के संविधान के मसौदे पर नजर दौड़ाई जाए तो साल 1976 में बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना के संविधान का मसौदा तैयार किया था। इस मसौदे में शिवसेना प्रमुख के बाद 13 सदस्यों की कार्यकारी समिति को निर्णायक बनाया गया। ये समिति पार्टी को लेकर कोई भी फैसला ले सकती है।
इसलिए मजबूत माना जा रहा दावा
ठाकरे खेमा अपने दावे को मजबूत क्यों मान रहा है इसकी भी वजह है। पार्टी की कार्यकारिणी में जो शामिल हैं उनमे आदित्य ठाकरे, मनोहर जोशी, लीलाधर दाके, सुभाष देसाई, दिवाकर राउत, रामदास कदम आदि हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग उद्धव ठाकरे के साथ हैं। ऐसे में ठाकरे खेमा अपना दावा मजबूत मानकर चल रहा है।
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अटका मंत्रिमंडल विस्तार
शिंदे की बगावत 21 जून को सामने आई थी, जब एकनाथ शिंदे 30 विधायकों को लेकर सूरत चले गए थे, जहां से विधायकों को गुवाहाटी ले जाया गया। शिंदे की ये बगावत तखता पलट साबित हुई। 28 जून को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिये, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया, और कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। ठाकरे के इस्तीफे के बाद एकनाथ शिंदे भाजपा के स्पोर्ट से महाराष्ट्र के सीएम बने और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी CM बने, लेकिन इसके बाद से मंत्रिमंडल का विस्तार अटका हुआ है। अब विधायकों की सदस्यता पर निर्णय होने के बाद विस्तार हो सकता है।