


भारत को प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से राहत मिल सकती है। सूत्रों के हवाले से ऐसी जानकारी सामने आई है। दोनों देशों के बीच ट्रेड को लेकर अच्छे तरीके से बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी एक "क्षेत्रीय और अनुकूलित" दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि नए व्यापार उपायों को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। इस सौदे के तहत, जिन सामानों की मांग ज्यादा है और जिनका व्यापार बड़े पैमाने पर होता है, उन पर मध्यम टैरिफ बढ़ाए जा सकते हैं। इससे भारत के निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का असर कम हो सकता है।
कम टैरिफ लगाने की भारतीय मांग
भारतीय व्यापार अधिकारी कुछ खास क्षेत्रों पर कम टैरिफ लगाने की मांग कर रहे हैं, जहां भारत अमेरिका को अधिक निर्यात करता है।
नए सौदे का खाका तैयार करने पर काम
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि अगले तीन दिनों में एक नए सौदे का खाका तैयार करने पर काम किया जा रहा है। हालांकि, अमेरिकी अधिकारी भारत से और भी रियायतें मांग रहे हैं।
भारत को अमेरिका के साथ विशेष व्यापार संबंधों का लाभ
अमेरिका अपनी टैरिफ रणनीति को वैश्विक व्यापार बदलाव के तहत फिर से देख रहा है, और भारत को चीन, मैक्सिको और कनाडा के समान टैरिफ का सामना न करने से अमेरिका के साथ विशेष व्यापार संबंधों की पहचान बन रही है। इससे भारत के निर्यातकों को भारी टैरिफ वृद्धि से राहत मिल सकती है।
भारत 23 बिलियन डॉलर के अमेरिकी आयातों पर टैरिफ कटौती के लिए तैयार
एक दिन पहले यह जानकारी मिली थी कि भारत अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता के हिस्से के तौर पर 23 बिलियन डॉलर से ज्यादा के अमेरिकी आयातों पर टैरिफ में कटौती करने को तैयार है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय व्यापारियों को अमेरिकी टैरिफ से बचाना है, जो उनके निर्यात पर भारी असर डाल सकते हैं।
टैरिफ कटौती का आंतरिक विश्लेषण
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने आंतरिक विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि नए अमेरिकी टैरिफ 87% भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं, जिसका मूल्य लगभग 66 बिलियन डॉलर है। इससे बचने के लिए, भारत अमेरिका के 55% आयातों पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार है। इन आयातों पर अब 5% से 30% तक टैरिफ है। कुछ टैरिफ में बड़ी कटौती हो सकती है और कुछ को पूरी तरह हटा दिया जा सकता है, लेकिन ये सभी प्रस्ताव अभी भी चर्चा में हैं।