


इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के ऑपरेशन डायरेक्टर अमिताभ कुमार ने कहा कि भारत ने 2040 तक अपने स्वदेशी अंतरिक्ष यान से चंद्रमा की सतह पर इंसान को भेजने का लक्ष्यतय किया है। इस अभियान में कई महत्वपूर्ण कदम होंगे।
चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाने की योजना
इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने और वहां से मिट्टी के नमूने लाने का प्रयास किया है। यह योजना चंद्रयान-4 के तहत तैयार की गई है, जिसे सैंपल रिटर्निंग मिशन कहा जाता है। इस मिशन के तहत एक व्यक्ति चंद्रमा की सतह पर उतरकर वहां से मिट्टी के नमूने लेकर वापस आएगा। हालांकि, अभी तक केवल चंद्रमा पर उतरने का प्रयास किया गया है और वहां से लौटने का प्रयोग बाकी है। इस साल इसरो ने डाकिंग और अनडाकिंग के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। इस प्रयोग को इसरो ने पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इस सफलता को हासिल करने में इसरो ने चार महीने का समय लिया।
चंद्रमा और पृथ्वी के संबंध पर शोध
मिशन के दौरान एक और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है कि चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है। इसका मतलब यह हो सकता है कि या तो पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण कम हो रहा है या चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बढ़ रहा है। इस बदलाव का पृथ्वी और यहां के जीवन पर क्या असर पड़ेगा, इस पर वैज्ञानिकों को और शोध करने की आवश्यकता है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है और यदि चंद्रमा पृथ्वी से दूर जा रहा है, तो यह ज्वार-भाटा के पैटर्न को बदल सकता है, जिसके कारण मौसम में बदलाव बादल न बनना, बारिश न होना और सूखा तथा अकाल जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
मानव जीवन की रक्षा के लिए जरूरी है ऐसे मिशन
चंद्रयान जैसे मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये मानव जीवन और भविष्य के संकटों से बचाने के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। ऐसे मिशन हमें पृथ्वी और अन्य ग्रहों के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करते हैं, जो भविष्य में संभावित खतरों से निपटने में सहायक हो सकते हैं।