


महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने की विस्तृत योजना तैयार कर ली है, जिसे शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. इस योजना की एक प्रमुख विशेषता यह है कि मराठी और अंग्रेज़ी माध्यम के विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा.
यह नीति कक्षा 1 से वर्ष 2025-26 में शुरू होकर 2028-29 तक सभी कक्षाओं में लागू की जाएगी.
महाराष्ट्र में 5+3+3+4 मॉडल को अपनाया जाएगा. पाठ्यक्रम का स्थानीय विकास SCERT और बालभारती द्वारा किया जाएगा.
मराठी और अंग्रेज़ी माध्यम के विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा.
सरकार का लक्ष्य है कि साल 2025 तक 80 फीसदी शिक्षकों को नई शिक्षण पद्धतियों और डिजिटल उपकरणों में प्रशिक्षित किया जाए.
महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को मानते हुए सिलेबस को एक नए तरीके से तैयार किया गया है. महाराष्ट्र के अन्य माध्य स्कूल पहले से ही तीन भाषा वाले फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं. महाराष्ट्र में अंग्रेजी और मराठी पढ़ाई जानी जरूरी हैं. इसलिए स्कूल अपने आप ही तीन भाषाएं पढ़ाते हैं.
केवल मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में ही अब तक दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं. अब इनके साथ हिंदी को भी शामिल कर लिया गया है. यह पॉलिसी इस साल 2025-26 से लागू कर दी जाएगी.
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत महाराष्ट्र के स्टेट बोर्ड में भी सिलेबस में बदलाव किया गया है. ये किताबें अब NCERT द्वारा बनाए गए सिलेबस के आधार पर होंगी. स्थानीय भाषा और भूगोल के हिसाब से सामाजिक विज्ञान में बदलाव किए जाएंगे. पाठ्यक्रम को प्रभावी तरीके से लागू किए जाने के लिए आंगनवाड़ियों में काम करने वाले लोगों के लिए वर्कशॉप आयोजित की जाएगी.