किस दिन से शुरु हो रहे हैं सावन के सोमवार, नोट कर लें तारीख
हिंदू कैलेंडर अनुसार, जुलाई में श्रावण मास शुरु हो जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शंकर जी को बहुत प्रिय है। श्रावण मास में भक्त भगवान शंकर की पूजा-आराधना करते है और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।
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Richa Gupta
Created AT: 16 जून 2025
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हिंदू कैलेंडर अनुसार, जुलाई में श्रावण मास शुरु हो जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शंकर जी को बहुत प्रिय है। श्रावण मास में भक्त भगवान शंकर की पूजा-आराधना करते है और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। सावन के महीने में सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते है कि इस बार कब से शुरु होने वाला है सावन का महीना और कितने सोमवार पड़ेगे।


कब से शुरु होगा श्रावण मास


हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत पवित्र और खास माना जाता है। इस साल 11 जुलाई से सावन का महीना शुरु हो जाएगा। और पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। सोमवार के दिन शिव भक्त भोलेनाथ की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। सोमवार का दिन भी शिवजी और माता पार्वती को समर्पित होता है। इससे शिव जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति, संपन्नता आती है. शादीशुदा जिंदगी भी खुशहाल बनी रहती है। कुंवारी कन्याएं यदि सावन सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा वर मिल सकता है।


सावन के सोमवार 2025 में 14 जुलाई से शुरू हो रहे हैं। इस साल कुल चार सोमवार पड़ेंगे, जो इस प्रकार हैं-


  1. पहला सावन सोमवार – 14 जुलाई 2025
  2. दूसरा सावन सोमवार – 21 जुलाई 2025
  3. तीसरा सावन सोमवार – 28 जुलाई 2025
  4. चौथा सावन सोमवार – 4 अगस्त 2025


श्रावण मास का महत्व


श्रावण मास का महत्व सनातन परंपरा में अत्यंत गहरा है। यह मास भक्ति, संयम और साधना का प्रतीक माना जाता है, विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए। इस दौरान किए गए व्रत और पूजा का विशेष फल इसलिए भी माना जाता है क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले विष को जब भगवान शिव ने पी लिया था, तो उस काल में उनका शरीर अत्यधिक गर्म हो गया था। तब देवताओं और ऋषियों ने उन्हें शांत रखने के लिए जल अर्पित किया। तभी से श्रावण मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। श्रद्धालु इस मास में बेलपत्र, धतूरा, भस्म, और शुद्ध जल के साथ शिव की पूजा करते हैं। इसे करने से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि दुर्भाग्य, रोग और बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है।

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