


कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से शुरू होगी और अगस्त तक चलेगी। विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में इसकी जानकारी दी है। इस साल यात्रा करने वाले लोगों के लिए दो रास्ते हैं। उत्तराखंड राज्य में लिपुलेख पास से 5 जत्थे जाएंगे। हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। सिक्किम राज्य में नाथू ला पास से 10 जत्थे जाएंगे। यहां भी हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। कुल मिलाकर, यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के लिए सरकार ने इंतज़ाम कर दिया है।
यात्रा के लिए सरकार की एडवाइजरी
इस यात्रा में प्रतिकूल हालात, अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है जो शारीरिक और मेडिकली तंदुरुस्त नहीं हैं। सरकार का कहना है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से वो जिम्मेदार नहीं होगी।
जोखिम की जिम्मेदारी खुद लें-सरकार
तीर्थयात्री यह यात्रा पूरी तरह से अपनी इच्छा शक्ति के बल पर तथा खर्च, जोखिम और परिणामों से अवगत होकर करते हैं। किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी। लिहाजा मृत्यु के मामले में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है।