रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत और रूस के 23वें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है. उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक माइलस्टोन के दौर से गुजर रहे हैं. पुतिन ने भी PM मोदी के साथ डिनर पर मेरी बातचीत हमारी स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के लिए बहुत मददगार रही. इस बीच उन्होंने कहा कि रूस भारत को छोटी, पोर्टेबल न्यूक्लियर तकनीक यानी SMR देने के लिए तैयार है. लेकिन आखिर ये तकनीक है क्या? और कैसे ये भारत की ऊर्जा तस्वीर बदल सकती है?
SMR क्या है? छोटा रिएक्टर, बड़ी ताकत
SMR यानी Small Modular Reactor, ये छोटे, पोर्टेबल और हाई-टेक न्यूक्लियर प्लांट होते हैं. ये सामान्य न्यूक्लियर प्लांट के मुकाबले सिर्फ एक-तिहाई क्षमता पर चलते हैं, लेकिन कम जगह, कम लागत और बेहद साफ ऊर्जा देते हैं. इसके फायदे ये है कि ये छोट और पोर्टेबल होते हैं, दूर-दराज इलाकों में भी बिजली की सप्लाई, कम कार्बन उत्सर्जन,बनाना और लगाना आसान सुरक्षा ज्यादा, जोखिम कम.
इस तकनीक में रूस है आग
रूस इस तकनीक में दुनिया से आगे है. रूस के के फ़्लोटिंग न्यूक्लियर स्टेशन ने 2020 से बिजली देनी शुरू की है. यह दुनिया का पहला फ़्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट है, जो समुद्र में तैरता है और जमीन को बिजली व हीटिंग देता है.
कहां-कहां लगेगी SMR तकनीक?
भारत SMR को खास तौर पर इन जगहों पर लगाने पर विचार कर रहा है डेटा सेंटर,पहाड़ी और दूर-दराज इलाके,बड़ी इंडस्ट्रीज, रेलवे के बड़े प्रोजेक्ट, उन जगहों पर जहां बिजली पहुंचाना मुश्किल है. रूस की कंपनी Rosatom ने भारत को फ़्लोटिंग न्यूक्लियर प्लांट का मॉडल भी दिखाया है यानी समुद्र में तैरता न्यूक्लियर स्टेशन जो जरूरत के मुताबिक कहीं भी ले जाया जा सकता है।
भारत के लिए क्यों जरूरी है SMR?
भारत तेजी से बिजली की मांग बढ़ने और नवीकरणीय ऊर्जा के उतार-चढ़ाव से जूझ रहा है. ऐसे में SMR बेस लोड बिजली देगा कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, उद्योगों को स्थायी ऊर्जा देगा,बड़े थर्मल प्लांट्स पर निर्भरता घटाएगा