


साज-सजावट, मेंहदी, संगीत और बेपरवाह नाच-गाना है। शानदार भोज है और बाराती भी हैं, लेकिन दूल्हा और दुल्हन?- नहीं। इनकी बिल्कुल जरूरत नहीं है। शहरी भारत में पार्टी करने की नई दुनिया में आपका स्वागत है। बैंड, बाजा, बारात सब कुछ मौजूद है और भव्य भारतीय ‘शादियां' जितनी मजेदार होती हैं, ये भी उतनी ही मजेदार होती हैं। बस इसमें परिवार की झंझट और असली दूल्हा-दुल्हन नहीं होते हैं।
‘फर्जी शादी' थीम इन दिनों शहर के युवाओं के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय बन चुकी है जहां लोग बिना किसी प्रतिबद्धता के मस्ती भरे जश्न में झूमते नजर आते हैं। नोएडा के रूफटॉप रेस्तरां ताहिया के संस्थापक निशांत कुमार ने हाल ही में एक फर्जी शादी समारोह का आयोजन किया था, जिसमें टिकटें पूरी तरह बिक चुकी थीं। उन्होंने इस संबंध में कहा, ‘‘इन शादियों में मेहमान तैयार होकर आते हैं, नाचते हैं, खाते हैं और भूमिका निभाते हैं। यह सब पूरी तरह से आनंद के लिए किया जाता है।''
‘‘यह एक अनोखा विचार है, जो पुरानी यादों, ड्रामा और भारतीय उत्सवों के प्रेम से जन्मा है। शादियां भारतीय संस्कृति, भोजन, संगीत और भावनाओं के सबसे रंग-बिरंगे रूपों में से एक होती हैं लेकिन साथ ही ये निजी और अक्सर बेहद उलझाऊ भी होती हैं। तभी हमने सोचा कि क्यों न लोगों को एक भव्य भारतीय शादी का सारा मज़ा, ड्रामा और शाही ठाठ-बाट दिया जाए, लेकिन इसमें कोई पारिवारिक राजनीति नहीं हो।'' ये विचार काम कर गया।
1,500 रुपए से लेकर 10,000 रुपए तक के टिकट वाले इन कार्यक्रमों में गैर-शादी के मौसम में भी पार्टी में शामिल होने वाले लोग अपने अंदर के बारातियों को बाहर निकालते हैं। अनोखे निमंत्रण और जबरदस्त कार्यक्रम के विवरण को नजरअंदाज करना मुश्किल होता है। इसमें लड़किया मेहंदी लगवा रही होती हैं, चमचमाते लहंगे पहने होती हैं। वहीं, लड़के कढ़ाईदार कुर्तों में नजर आते हैं। अजनबी एक-दूसरे के दोस्त बन जाते हैं और सब मिलकर ‘डांस फ्लोर' पर उतर आते हैं और शादी का जश्न मनाते हैं। लेकिन वास्तव में यह बस दिखावटी होता है।
गुड़गांव में ऐसी ही एक फर्जी शादी में शामिल हुईं 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा नताशा घई ने कहा, ‘‘इन शादियों में क्या पहनें क्या न पहनें इस बात का कोई तनाव नहीं होता जबकि असली शादी में ऐसा होता है क्योंकि वहां नाक-भौं सिकोड़ने वाले रिश्तेदार होते हैं। इन शादियों में हम बस अपने दोस्तों के साथ होते हैं, ढोल की थाप पर नाचते हैं, दुनिया की परवाह किए बिनाखाने-पीने का आनंद लेते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह आजादी का एहसास था और बिल्कुल शादी जैसा माहौल था।''