


शारीरिक-मानसिक दोनों तरह की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को रात की अच्छी नींद के बेहतर तरीकों पर ध्यान देने की सलाह देते हैं। नींद की गुणवत्ता के सेहत पर असर को लेकर किए गए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों की रात की नींद एक दिन भी ठीक से पूरी नहीं होती है, उनमें इसके कारण कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा हो सकता है। हृदय रोगों से लेकर डायबिटीज तक के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में नींद की गुणवत्ता में कमी को भी प्रमुख पाया गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं लाइफस्टाइल में बदलाव, आहार की पौष्टिकता और कुछ सामान्य सी आदतों में सुधार के माध्यम से नींद की गुणवत्ता को ठीक किया जा सकता है।'10-3-2-1-0 नियम के बारे में भी लोगों को बताया है जिसको अपनाकर नींद की ठीक करने में मदद मिल सकती है।
क्या है '10-3-2-1-0 नियम?
नींद की गुणवत्ता को ठीक रखने के लिए अध्ययन में डॉ जेस एंड्रेड ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर '10-3-2-1-0 नियम के बारे में बताया है जिसका पालन करके लाभ पाया जा सकता है।
- सोने से 10 घंटे पहले- कैफीन का सेवन सीमित करें।
- सोने से तीन घंटे पहले- ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें जिन्हें पेट की गड़बड़ी का कारण माना जाता है।
- सोने से दो घंटे पहले- ऑफिस का काम खत्म कर लें, परिवार के साथ समय बिताएं।
- सोने से एक घंटा पहले- किसी भी प्रकार के स्क्रीन से दूरी बना लें।
- सोते समय- अच्छी नींद के लिए उपयुक्त माहौल बनाएं, कमरे में अंधेरा और शांत रखें। गहरी नींद लेने का प्रयास करें।
नीली रोशनी के संपर्क में कम रहें
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि शाम के समय में हमेशा हल्की रोशनी रखनी चाहिए। रात के समय तेज प्रकाश के संपर्क में रहने से विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह आपके सर्कैडियन रिदम को खराब कर सकता है जिसके कारण सोने-जागने के समय पर नकारात्मक असर देखा जा सकता है। यह मेलाटोनिन जैसे हार्मोन को भी कम करता है, जो आपको आराम करने और गहरी नींद लेने में मदद करती है।
अच्छी नींद के लिए बेडरूम का माहौल रखें ठीक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बेडरूम का वातावरण और उसका सेटअप ठीक रखना रात को अच्छी नींद पाने में आपके लिए सहायक हो सकता है। बेडरूम को साफ रखें, शोर, बाहरी रोशनी से मुक्त रखना आपको नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद कर सकता है। कई अध्ययन बताते हैं कि बाहरी शोर अक्सर खराब नींद का कारण बनते है जिसका असर दीर्घकालिक रूप से शरीर को प्रभावित कर सकता है।