राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का उद्बोधन
राज्य स्तरीय गौ-शाला सम्मलेन में पहुंचे सीएम डॉ मोहन यादव। सबसे पहले सीएम डॉ मोहन यादव ने गौ माता का तिलक लगाकर किया पूजन।
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Richa Gupta
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राज्य स्तरीय गौ-शाला सम्मलेन में पहुंचे सीएम डॉ मोहन यादव। सबसे पहले सीएम डॉ मोहन यादव ने गौ माता का तिलक लगाकर किया पूजन।इसके बाद सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों पर पुष्प की वर्षा की।


* परमात्मा की जब कृपा होती है, तो वह चारों ओर से होती है। कोई भी वंचित नहीं रहता।


* यह मुख्यमंत्री निवास वास्तव में आपका अपना निवास है — गौपालकों का निवास।


* गौ माता जहां होती हैं, वहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जिस घर में गाय होती है, वह घर गोपाल का घर कहलाता है। ऐसा माना गया है कि धरती पर जहां गाय और गोपाल हैं, वहीं साक्षात स्वर्ग है।


* हमें जन्म भले ही हमारी मां ने दिया हो, लेकिन जन्म के बाद गौ माता की कृपा आरंभ होती है।


* हमारे घरों में जब पहली रोटी बनती है, तो वह गौ माता के लिए होती है — यही हमारी सनातन परंपरा है।


* प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश बदल रहा है, और पूरा विश्व इसे देख रहा है।


* प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति कर रहा है। सुशासन और देशी गौ नस्लों को बढ़ावा देने के उनके प्रयास आज पूरी दुनिया देख रही है।


* हमारी परंपरा में गोधूलि बेला का विशेष महत्व है। विवाह के लिए यदि कोई अन्य मुहूर्त न भी मिले, तो गोधूलि बेला स्वयं एक पवित्र मुहूर्त बन जाती है। यह हमारी हजारों वर्षों की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।


* महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। दुर्भाग्यवश गांव और गाय का जो प्राचीन संबंध था, उसे योजनाबद्ध रूप से कमजोर करने का प्रयास किया गया। अब समय आ गया है कि हम अपनी उस पहचान को पुनर्स्थापित करें।


* मध्यप्रदेश कृषि उत्पादन में अग्रणी है। अब हमारा लक्ष्य है कि हम दुग्ध उत्पादन में भी देश में नंबर-1 बनें, और मध्य प्रदेश को "दूध की राजधानी" बनाया जाए।


* परमात्मा ने हमें विशेष आशीर्वाद दिया है — नदियों का मायका है मध्यप्रदेश, वनों से आच्छादित है यह भूमि, और यहां भोले-भाले गौपालकों की बड़ी संख्या है।


* मध्यप्रदेश की आर्थिक व्यवस्था में दूध का विशेष महत्व है, जिसे हम स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।


* हम गाय का दूध खरीदेंगे और किसानों की सद्भावना का सम्मान करेंगे। गौ माता का दुग्ध अमृत के समान है।


* गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए ₹20 प्रति गौ माता प्रतिदिन की सहायता राशि को बढ़ाकर ₹40 कर दिया गया है।


* गोपालन की योजनाओं में 25% का अनुदान दिया जाएगा।


* यदि आप ₹40 लाख की गायें दुग्ध उत्पादन के लिए लाते हैं, तो सरकार ₹10 लाख का अनुदान देगी।


* प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए किसानों की आय भी बढ़ाई जाएगी।


* अभी हम गेहूं ₹2600 प्रति क्विंटल बेचते हैं, लेकिन यदि वह प्राकृतिक हो गया, तो ₹4000 से ₹5000 प्रति क्विंटल तक बिकेगा।


* प्रदेश में यदि राजमार्गों पर कहीं भी बेसहारा, अपाहिज या वृद्ध गौ माता मिलेंगी, तो उन्हें सम्मानपूर्वक गौशालाओं में पहुंचाया जाएगा।


* बजट में 30 नई गौशालाएं स्वीकृत की गई हैं।


* यदि कोई व्यक्ति 5000 से अधिक गौ माता वाली गौशाला खोलना चाहता है, तो उसे ₹40 प्रति गौ माता प्रतिदिन की सहायता के साथ-साथ 125 एकड़ भूमि भी दी जाएगी।


* सभी योजनाओं के आधार पर हम अगले एक वर्ष में प्रदेश की सड़कों और खेतों के पास बेसहारा गाय न दिखे, यह सुनिश्चित करेंगे।


* आज आचार्य विद्यासागर जीव दया गौ सेवा सम्मान के माध्यम से 7 गौशालाओं को पुरस्कृत किया गया है।


* डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना में 3 हितग्राहियों को स्वीकृति पत्रों के साथ नई गौशालाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान किए गए हैं।


* ₹90 करोड़ की राशि एक ही क्लिक में सभी हितग्राहियों के खातों में भेजी गई है।


* यह केवल ₹90 करोड़ की बात नहीं है; यदि आवश्यक हुआ, तो हम ₹900 करोड़ भी देने को तैयार हैं। सरकार पीछे हटने वाली नहीं है।


* आज ही हम 73 गौशालाओं को पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान कर रहे हैं।


* हम हर ब्लॉक में एक आदर्श वृंदावन गांव बनाने जा रहे हैं।


* कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए चाहे हम कुछ भी करें, लेकिन यदि हर घर में एक दूध देने वाली गाय पहुंच जाए, तो पूरा घर अपने आप आनंदमय हो जाता है।


* बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दूध मिले — यही हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है। दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं।


* रीवा, सतना, दमोह, देवास, विदिशा, ग्वालियर और आगर-मालवा में एकीकृत बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।


* इन संयंत्रों के माध्यम से गौशालाओं से सीएनजी गैस उत्पादन और ग्राम आधारित आर्थिक व्यवस्था को सशक्त करने का कार्य किया जा रहा है।


* गोमूत्र से वर्मी कम्पोस्ट, सींग खाद और अमृत पानी जैसे जैविक उत्पादों का निर्माण मध्यप्रदेश में प्रारंभ हो गया है।


* ये उत्पाद न केवल किसानों के लिए रसायन-मुक्त कृषि का विकल्प दे रहे हैं, बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं।


* नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के सहयोग से दुग्ध संग्रहण क्षमता को 10 लाख लीटर से बढ़ाकर 50 लाख लीटर करने का संकल्प लिया गया है।

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