


प्रकृति की सबसे सुंदर और नाजुक रचनाओं में से एक है — तितली। यह न केवल रंग-बिरंगी होती है, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन की महत्वपूर्ण सूचक भी है। हाल के वर्षों में तितलियों की घटती संख्या और उनके आवासों के विनाश ने पर्यावरणविदों को चिंतित कर दिया है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में मध्यप्रदेश में कई बटरफ्लाई पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रयास है, बल्कि शिक्षा, पर्यटन और जैव विविधता को भी बढ़ावा देता है।
रायसेन: राज्य का पहला बटरफ्लाई पार्क
मध्यप्रदेश का पहला बटरफ्लाई पार्क रायसेन जिले के गोलापुर गाँव में वर्ष 2018 में स्थापित किया गया। यह पार्क लगभग तीन हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ लगभग 65 प्रजातियों की तितलियाँ और 137 से अधिक पौधों की किस्में पाई जाती हैं। पार्क का उद्देश्य न केवल तितलियों का संरक्षण है, बल्कि बच्चों और युवाओं में प्रकृति के प्रति जागरूकता पैदा करना भी है।
यह पार्क पूरी तरह रासायनिक कीटनाशकों से मुक्त रखा गया है ताकि तितलियों का प्राकृतिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही बच्चों के लिए ऑडिटोरियम, शैक्षणिक गतिविधियाँ और भविष्य में एक्वेरियम जैसी योजनाएँ भी प्रस्तावित हैं।
भोपाल और इंदौर: शहरी क्षेत्रों में हरियाली के केंद्र
राजधानी भोपाल में वान विहार राष्ट्रीय उद्यान परिसर में एक और बटरफ्लाई पार्क विकसित किया गया है, जहाँ लगभग 24 प्रजातियों की तितलियाँ देखी जाती हैं। यहाँ ई-रिक्शा जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिससे आगंतुक पर्यावरणीय शिक्षा के साथ आनंद भी ले सकते हैं।
इंदौर के रालामंडल अभयारण्य में एक हेक्टेयर में बटरफ्लाई पार्क का विकास किया जा रहा है। हालांकि, यह परियोजना खरगोशों और साही जैसे जानवरों द्वारा पौधों को नुकसान पहुँचाने के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है। वन विभाग ने इसके लिए बाड़, गड्ढे और रात की गश्त जैसी व्यवस्थाएँ शुरू की हैं।
सर्वेक्षण और जैव विविधता की स्थिति
2024 में इंदौर रोड स्थित ईको पार्क उमरीखेड़ा में किए गए सर्वेक्षण में 80 पक्षी प्रजातियाँ और 33 तितली प्रजातियाँ दर्ज की गईं। इसमें कॉमन लाइन ब्लू, रेड फ्लैश, कॉमन वांडरर जैसी रंगबिरंगी तितलियाँ शामिल थीं। यह स्पष्ट संकेत है कि संरक्षण प्रयासों से जैव विविधता में वृद्धि संभव है।
पर्यावरणीय महत्व और चुनौतियाँ
तितलियाँ परागण में अहम भूमिका निभाती हैं और पर्यावरणीय संतुलन की संवेदनशील सूचक होती हैं। परंतु आज वे कीटनाशकों के उपयोग, अत्यधिक रसायनों, अवैध अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं।
बटरफ्लाई पार्क केवल सजावटी बाग नहीं, बल्कि एक जीवित पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं। इनके लिए आवश्यक है – होस्ट प्लांट्स, नेकटार स्रोत, और रसायन मुक्त वातावरण।
मध्यप्रदेश में बटरफ्लाई पार्क की पहल निस्संदेह सराहनीय है। यह न केवल तितलियों के संरक्षण में योगदान देती है, बल्कि बच्चों और युवाओं को प्रकृति से जोड़ती है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह आकर्षण का केंद्र बन सकती है।
हालाँकि, इन प्रयासों को दीर्घकालिक सफलता दिलाने के लिए आवश्यक है –
स्थानीय समुदायों की भागीदारी,
पर्यावरण शिक्षा का समावेश,
जैव विविधता के अनुकूल वृक्षारोपण और सतत निगरानी।
अगर प्रकृति के इन रंगीन दूतों को बचाना है, तो उनके लिए ऐसे हरित आश्रय और भी जिलों में विकसित करने होंगे। यह केवल एक पार्क नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ एक जीवंत संवाद है।