


दक्षिण एशिया में हालिया समय में एक के बाद एक देशों में सत्ता परिवर्तन हुआ है। जन आंदोलन के नाम पर बाहरी ताकतों ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देशों में लोकतंत्र को कुचल दिया है। श्रीलंका में आर्थिक संकट से उबाल था जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में कट्टर इस्लामिक ताकतों का देश पर कब्जा और ज्यादा मजबूत हुआ। बांग्लादेश पत्रकार सलाहउद्दीन चौधरी ने कहा है कि नेपाल में जो कुछ घटा है वो 2024 में बांग्लादेश में हुई घटनाओं की लगभग हूबहू झलक पेश करता है। अमेरिकी डीप स्टेट, स्थानीय एनजीओ, मीडिया प्रोपेगेंडा और अपने "मर्सिनरीज" के जरिये दक्षिण एशियाई देशों को अस्थिर करने की कोशिश में जुटा है।
नेपाल का विद्रोह भी अपने आप शुरू हुए आंदोलन जैसा नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित कहानी का हिस्सा लगता है, ठीक वैसा ही जैसा ढाका में एक साल पहले हुआ था। सलाहउद्दीन चौधरी ने लिखा है कि "नेपाल में दुनिया ने जो देखा है, वो भारत विरोधी कुख्यात प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से ग्रस्त सरकार का अपदस्थ होना, एक साल पहले बांग्लादेश में हुई घटनाओं की एक भयावह पुनरावृत्ति है।"