


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और चीन पर बड़ा आर्थिक दबाव बनाने की बात कही है। उन्होंने G7 देशों से कहा है कि वे भारत और चीन द्वारा रूस से खरीदे जा रहे तेल पर 100% तक का भारी टैरिफ लगाएं। ट्रंप का मानना है कि ऐसा करने से रूस पर यूक्रेन युद्ध रोकने का दबाव बनेगा।
क्यों लग सकता है इतना टैरिफ?
अमेरिका का मानना है कि भारत और चीन द्वारा खरीदा गया रूसी तेल, रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, जिससे यूक्रेन युद्ध और लंबा खिंच रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी के प्रवक्ता ने कहा कि यह टैरिफ सिर्फ अस्थायी होगा औरयुद्ध खत्म होते ही हटा लिया जाएगा। इसे अमेरिका की "पीस एंड प्रॉस्पेरिटी एडमिनिस्ट्रेशन" का हिस्सा बताया गया है।
EU और G7 की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने G7 देशों के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन (EU) को भी यही सलाह दी थी। यूरोपीय यूनियन इस बात से सहमत नहीं है। EU का मानना है कि इस तरह के टैरिफ लगाने से भारत और चीन जैसे बड़े देशों के साथ उनके व्यापारिक संबंध खराब हो सकते हैं और बदले की भावना भी पैदा हो सकती है। इसके बजाय EU 2027 तक रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता खत्म करने और रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के पक्ष मेंहै।
अगर 100% टैरिफ लगा तो क्या होगा?
अगर अमेरिका EU और G7 देश मिलकर भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाते हैं, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। रूस सस्ते में तेल बेचता है और अगर यह सौदा महंगा हो गया तो भारत और चीन में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। इससे महंगाई और भी बढ़ जाएगी, जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।