इस साल के अंत तक भारत में बेचे जाने वाले सभी स्मार्टफोन में देश के अपने सैटेलाइट समूह से संकेत प्राप्त करने, पढ़ने और संसाधित करने की क्षमता होगी, जो नेविगेशन, डिलीवरी सर्विस और आपदा राहत में मदद करेगा। इस प्रणाली को NavIC (Navigation with Indian Constellation) कहा जाता है। यह उन मोबाइल हैंडसेट्स पर काम करेगा जिनमें ऐसे चिपसेट लगाए गए हैं जो स्वचालित रूप से भारतीय नेविगेशन सैटेलाइट के संकेतों को पकड़ने के लिए समन्वित हैं।
स्मार्टफोन में पहले की तरह अमेरिका आधारित ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) सुविधा भी बनी रहेगी। NavIC एक अतिरिक्त (add-on) सक्षम सुविधा के रूप में कार्य करेगा। यह भारतीय प्रणाली फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स, कैब-हेलिंग ऐप्स और ट्रैफिक मैपिंग जैसे लोकेशन-आधारित सेवा प्रदाताओं के लिए एक कम लागत वाला विकल्प बन सकती है।
NavIC के लाभ
स्मार्टफोनों में NavIC के एकीकरण से कई क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुलेंगी। यह प्रणाली रियल-टाइम ट्रैफिक प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स कंपनियों के लिए फ्लीट ट्रैकिंग को सक्षम बनाती है। भारत के भीतर इसकी उच्च सटीकता राइड-हेलिंग और डिलीवरी सेवाओं के प्रदर्शन को बेहतर बनाती है।
आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं में NavIC अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है — यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पीड़ितों की सटीक लोकेशन बताकर राहत और बचाव कार्यों को तेज बना सकता है। इसके अलावा यह पर्यटन और यातायात सुरक्षा में वाहनों की निगरानी को भी सक्षम बनाता है।
तकनीकी बदलाव: ‘चिपसेट ऑफ चेंज’
NavIC के एकीकरण की नींव एक विशेष रूप से तैयार किए गए चिपसेट से जुड़ी है — जो मोबाइल फोन के मदरबोर्ड और उसकी इलेक्ट्रॉनिक कार्यप्रणालियों का मुख्य हिस्सा होता है। स्मार्टफोनों में NavIC का उपयोग चिपसेट स्तर के समर्थन पर निर्भर करता है, क्योंकि नेविगेशन रिसीवरों को NavIC के उपग्रह समूह से आने वाले संकेतों को संसाधित करने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए ISRO और प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियों के बीच सहयोग हुआ।