


धरती पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिकों के बीच दशकों से बहस चल रही है. अब एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि जीवन की शुरुआत अब तक के अनुमान से कई सौ मिलियन साल पहले ही हो चुकी थी. नेचर इकोलॉजी एंड एवोल्यूशन में प्रकाशित एक अहम अध्ययन में वैज्ञानिक एडवर्ड मूडी और उनकी टीम ने जीवन के सबसे पुराने पूर्वज यानी “लास्ट यूनिवर्सल कॉमन एंसेस्टर” (LUCA) की उम्र 4.09 से 4.33 अरब साल बताई है.
क्या सच में धरती पहले पूरी तरह बंजर थी?
अब तक माना जाता था कि धरती पर जीवन की शुरुआत “लेट हेवी बॉम्बार्डमेंट” (LHB) के बाद ही हुई थी. यह वह दौर था, जब 4.1 से 3.8 अरब साल पहले धरतीपर उल्काओं और धूमकेतुओं की लगातार बारिश हो रही थी. वैज्ञानिकों का मानना था कि इस भीषण टकराव से पूरी पृथ्वी जल गई होगी, जिससे जीवन पनपने की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक LHB की तीव्रता पर सवाल उठा रहे हैं. क्या यह टकराव सच में इतना भयानक था कि उसने धरती को पूरी तरह से निर्जीव बना दिया? नए शोध बताते हैं कि जीवन की शुरुआत इससे पहले ही हो सकती थी, और LUCA शायद इस कठोर परिस्थितियों में भी बचा रहा होगा.
क्या कहते हैं पुराने जीवन के सबूत?
पहले के अध्ययनों में पृथ्वी पर जीवन के शुरुआती प्रमाण 3.5 से 3.8 अरब साल पुराने माने जाते थे. लेकिन अगर हालिया रिसर्च सही साबित होते हैं, तो इसका मतलब है कि जीवन की शुरुआत 4.1 अरब साल से भी पहले हो चुकी थी. यह खोज धरती पर जीवन की कहानी को पूरी तरह बदल सकती है और यह भी संकेत देती है कि शायद अन्य ग्रहों पर भी जीवन के संकेत मिलने की संभावना अधिक हो सकती है.
क्या धरती पर जीवन किसी और ग्रह से आया?
धरती पर जीवन की तेजी से शुरुआत ने वैज्ञानिकों के सामने एक बेहद रोमांचक सवाल खड़ा कर दिया है—क्या जीवन धरती पर पैदा हुआ था, या यह किसी और ग्रह से आया था?
यही विचार “पैनस्पर्मिया” थ्योरी के रूप में जाना जाता है. इस सिद्धांत के अनुसार, जीवन किसी अन्य ग्रह पर विकसित हुआ और उल्कापिंडों के जरिए धरती पर पहुंचा. हालांकि, यह एक पुराना विचार है जिसे अक्सर खारिज कर दिया जाता है, क्योंकि यह गणितीय रूप से बेहद असंभव माना जाता है.
अगर कोई उल्कापिंड सौर मंडल के बाहर से आया होता, तो उसकी यात्रा लाखों-करोड़ों साल लंबी होती और इस दौरान तेज़ रेडिएशन किसी भी जीवित कोशिका को नष्ट कर देता. साथ ही, इतनी दूर से आने वाली कोई भी वस्तु ज़्यादा संभावना से सूर्य या बृहस्पति की तीव्र गुरुत्वाकर्षण शक्ति में फंस जाती, बजाय इसके कि वह धरती तक पहुंचे.
क्या मंगल से आया जीवन?
लेकिन कहानी पूरी तरह बदल जाती है, अगर यह जीवन मंगल ग्रह से आया हो. वैज्ञानिक ये कहते हैं कि यह पूरी तरह संभव है कि मंगल पर जीवन पहले विकसित हुआ हो और फिर किसी उल्कापिंड के ज़रिए धरती तक पहुंचा हो. दरअसल मंगल और पृथ्वी लगभग एक ही समय बने थे, लेकिन मंगल बहुत जल्दी ठंडा हो गया. वैज्ञानिक रिकॉर्ड बताते हैं कि मंगल पर उसकी शुरुआती दिनों में भरपूर पानी था, यानी वह जीवन के लिए अनुकूल हो सकता था.
मंगल पर चंद्रमा जैसा कोई बड़ा उपग्रह नहीं था, जिससे उसकी सतह पर शुरुआती उथल-पुथल कम हुई और जीवन पनपने के लिए अधिक समय मिला. चूंकि मंगल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से कम है, इसलिए जब कोई उल्का मंगल की सतह से टकराती थी, तो वहां से चट्टानों के टुकड़े अंतरिक्ष में आसानी से छिटक जाते थे और सौर मंडल में फैल जाते थे.
तो क्या हम सब मंगल ग्रह के वंशज हैं?
धरती पर अब तक सैकड़ों मंगल ग्रह के उल्कापिंड मिल चुके हैं, जो यह साबित करते हैं कि मंगल की चट्टानें कभी-न-कभी हमारी पृथ्वी तक पहुंची हैं. अगर पैनस्पर्मिया थ्योरी सही है, तो इसका मतलब हो सकता है कि धरती पर जीवन की असली जड़ें मंगल में थीं. हालांकि, इस पर अभी भी शोध जारी है, लेकिन अगर भविष्य में इस पर ठोस सबूत मिलते हैं, तो यह हमारे ब्रह्मांड को देखने के नजरिए को पूरी तरह बदल सकता है!