महाकाल के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल लोक फेज-2 परियोजना के विस्तार पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है। शीर्ष अदालत ने महाकाल लोक परिसर के पार्किंग क्षेत्र विस्तार के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली तकीया मस्जिद की याचिका को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि अब इस भव्य प्रोजेक्ट के काम में कोई कानूनी अड़चन नहीं रहेगी।
यह याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 11 जनवरी के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी, जिस पर जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने सवाल किया कि अधिग्रहण की कार्रवाई के बजाय फैसले को क्यों चुनौती दी गई है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक नहीं हैं इसलिए उन्हें अधिग्रहण की कार्रवाई पर सवाल उठाने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण की अधिसूचनाओं को चुनौती नहीं दी गई, शिकायतें फैसले के खिलाफ की गई हैं, जबकि वैकल्पिक वैधानिक समाधान मौजूद था। गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुफैजा अहमदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन के अनिवार्य प्रावधान का इस मामले में पालन नहीं किया गया। बेैंच ने उनकी दलील पर सख्त लहजे में कहा कि वे केवल एक उपासक हैं, भूमि के स्वामी नहीं। अदालत ने माना कि चूंकि याचिकाकर्ता रिकॉर्ड में जमीन का टाइटल होल्डर नहीं है, इसलिए उसे अधिग्रहण की प्रक्रिया को अवैध बताने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।