


नीम करोली बाबा हमेशा एक कंबल ओढ़े रहते थे, चाहे गर्मी हो या सर्दी। कभी उनको बिना कंबल के नहीं देखा गया। यह देखकर लोगों को हैरानी होती थी कि आखिर उनके कंबल का रहस्य क्या है। यह उनकी सिर्फ एक आदत थी, या इसके पीछे की वजह कुछ और है, आज हम इस बारे में विस्तार से बात करेंगे। दादा मुखर्जी, जो बाबा के करीबी भक्त और जीवनी लेखक थे, उनके अनुसार कंबल सिर्फ एक कपड़ा नहीं था, बल्कि वैराग्य और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक था। कंबल सिर्फ एक कपड़ा नहीं था, बल्कि उससे कहीं बढ़कर था।
मुखर्जी के अनुसार नीम करोली बाबा हमेशा वैराग्य की बात करते थे। उनका कंबल भी वैराग्य का प्रतीक था। यह बताता था कि हमें सांसारिक चीजों से मोह नहीं रखना चाहिए। एक दिन, एक भक्त ने बाबा के कंबल को ठीक करने की कोशिश की, तो उन्होंने कहा, इसे छोड़ दो। किसी को भी किसी चीज से बंधे नहीं रहना चाहिए। मुखर्जी बताते हैं कि बाबा के हमेशा कंबल ओढ़े रहने का एक और कारण था। वे अपने भक्तों की रक्षा करते थे। बाबा अपने भक्तों की बीमारियों और कर्मों के बोझ को अपने ऊपर लेते थे।
भक्तों के लिए, यह कंबल बाबा की शिक्षाओं की याद दिलाता है। नीम करोली बाबा का कंबल सिर्फ एक कपड़ा नहीं था। यह उनका कवच था, उनकी शिक्षाओं का प्रतीक था और उनकी सादगी का प्रमाण था। अब, जो भक्त कैंची धाम में उनके मंदिर जाते हैं, वे उनकी मूर्ति को कंबल चढ़ाते हैं। नीम करोली बाबा के कंबल के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि कंबल उन्हें गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्मी देता था। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि कंबल में बाबा की शक्ति थी और यह भक्तों को बीमारियों और बुरी शक्तियों से बचाता था।