सनातन धर्म और नाग पंचमी: श्रद्धा, परंपरा और जीवों की रक्षा का उत्सव
सनातन धर्म की परंपराएँ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति, जीव-जंतु, और समग्र सृष्टि के प्रति गहन संवेदनशीलता और सम्मान की जीवंत अभिव्यक्ति हैं। इन्हीं परंपराओं में एक विशिष्ट पर्व है नाग पंचमी, जो विशेष रूप से नागों की पूजा और उनके संरक्षण को समर्पित है।
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Sanjay Purohit
Created AT: 27 जुलाई 2025
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सनातन धर्म की परंपराएँ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति, जीव-जंतु, और समग्र सृष्टि के प्रति गहन संवेदनशीलता और सम्मान की जीवंत अभिव्यक्ति हैं। इन्हीं परंपराओं में एक विशिष्ट पर्व है नाग पंचमी, जो विशेष रूप से नागों की पूजा और उनके संरक्षण को समर्पित है। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय भी है।

नागों का स्थान सनातन धर्म में

सनातन धर्म में नागों को विशेष स्थान प्राप्त है। शेषनाग को भगवान विष्णु के शय्या के रूप में दर्शाया गया है। भगवान शिव के गले में वासुकि नाग शोभायमान हैं, और अनंत नाग ब्रह्मांडीय चक्र का प्रतीक माने जाते हैं। महाभारत, रामायण और पुराणों में भी नागों की शक्तिशाली उपस्थिति मिलती है। वे केवल जीव नहीं, अपितु दिव्य शक्तियों और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं।

नाग पंचमी: परंपरा और पूजा-विधि

नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु नागों की पूजा करते हैं। ग्रामीण अंचलों में लोग नाग-स्थान (सर्प देवता की मूर्ति या प्रतीक) पर जाकर दूध, कुश, दूर्वा, हल्दी और अक्षत अर्पित करते हैं। शहरी क्षेत्रों में दीवारों पर नाग चित्र बनाकर उनका पूजन किया जाता है। कई स्थानों पर जीवित सर्पों को दूध पिलाने की परंपरा भी है, यद्यपि अब पर्यावरणविद् इसे जीवों की रक्षा की दृष्टि से हानिकारक मानते हैं।

धार्मिक दृष्टि से नाग पंचमी का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से भय, रोग और अकाल मृत्यु का नाश होता है। यह पर्व भक्त को अहंकार से मुक्त करके प्रकृति की विनम्रता से जोड़ता है। नाग देवता को देवताओं का सेवक नहीं, बल्कि देवत्व का स्वाभाविक अंश माना गया है। पूजा से ‘नाग दोष’ जैसे ज्योतिषीय प्रभाव भी शांत होते हैं।

हिंदू परंपरा में जीव संरक्षण की भावना

सनातन धर्म केवल मानव कल्याण की नहीं, बल्कि समस्त प्राणियों के कल्याण की बात करता है। गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ, हाथी, नाग — सभी को धर्म में स्थान मिला है। नाग पंचमी इस व्यापक दृष्टिकोण का प्रतीक है, जिसमें एक जीव, जो सामान्यतः भय का कारण बनता है, उसकी पूजा कर यह सिखाया जाता है कि प्रत्येक प्राणी के अस्तित्व का महत्व है। यह पर्व हमें अहिंसा और सह-अस्तित्व का संदेश देता है।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नाग पंचमी

वर्तमान समय में जब जैव विविधता खतरे में है और सर्पों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्ति की ओर हैं, नाग पंचमी का महत्व और बढ़ जाता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि नाग केवल धर्म या पूजा का विषय नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन का आवश्यक हिस्सा हैं। किसान समुदाय तो आज भी सर्पों को खेत का रक्षक मानता है क्योंकि वे चूहों और कीटों को नियंत्रित करते हैं।

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