


किसानों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए विशिष्ट पहचान संख्या वाली फार्मर आइडी की व्यवस्था अनिवार्य की गई है। इसके तहत प्रत्येक किसान की फार्मर आइडी बनाई जानी है। इस कार्य के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के तहत भारत सरकार ने चार हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह राशि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दी जाएगी। मध्यप्रदेश में फार्मर आइडी निर्माण का कार्य महज 85 फीसदी ही हो सका है। ऐसे में केंद्रीय सहायता की मिलने वाली इंसेंटिव राशि अटक सकती है। लिहाजा आयुक्त भू-अभिलेख ने सभी जिलों को फार्मर आइडी बनाने में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
फार्मर आइडी अनिवार्य
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र हितग्राहियों को सरकार छह हजार रुपए देती है। अब किसान सम्मान निधि के लिए फार्मर आइडी को अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने आइडी बनाने जून तक का लक्ष्य रखा था, लेकिन राज्यों में प्रगति बहुत अच्छी नहीं होने पर अवधि जुलाई तक बढ़ा दी गई है। इसे लेकर विगत दिवस की गई समीक्षा में पाया गया कि प्रदेश में फार्मर आईडी बनाने की प्रगति 85 फीसदी है।
यह दिक्कत संभव
आइडी बनाने के लिए सरकार निजी सेक्टर को इंसेंटिव देती है। राशि विशेष केंद्रीय सहायता के तहत मिलती है। उधर, इसके लिए केंद्र ने केंद्रीय सहायता के तहत फार्मर आइडी के लिए 4000 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें पहले आओ पहले पाओ की शर्त जोड़ी है। ऐसे में वे राज्य जिनके यहां आइडी का काम पहले पूरा होगा, उन्हें पहले राशि मिलेगी। इंसेंटिव का भुगतान कर सकेंगे। प्रदेश अगर पिछड़ जाता है तो उसे केंद्रीय सहायता मिलने में विलंब के साथ दिक्कत भी आएगी।