


ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि भारत ने पाकिस्तान के सरगोधा इलाके में मौजूद परमाणु ठिकाने किराना हिल्स पर क्रूज मिसाइलों से हमला किया। जिससे किराना हिल्स में रेडिएशन लीक हो गया। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इन खबरों का खंडन कर दिया। उस वक्त खबरों में यह भी कहा गया कि किराना हिल्स से इससे रेडियोएक्टिव लीक हुआ, जिसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम स्वीकार कर लिया। किारान हिल्स इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहां पाकिस्तान के परमाणु प्रोग्राम के जनक अब्दुल कादिर खान और उनकी टीम ने 1980 और 1990 के दशक में 'कोल्ड टेस्ट' किए थे। ये टेस्ट 1998 में चगाई में हुए परमाणु परीक्षणों से पहले किए गए थे।
क्या होता है कोल्ड टेस्ट, ISI की क्यों रहती है नजर
कोल्ड टेस्ट में बिना विस्फोट किए परमाणु हथियारों के सिस्टम को जांचा जाता है। इससे पाकिस्तान को अपने शुरुआती परमाणु हथियार बनाने में मदद मिली। किराना हिल्स की भौगोलिक स्थिति इसे गुप्त परमाणु अनुसंधान और परीक्षण के लिए सही बनाती है। यह जगह आबादी से दूर है और चारों तरफ पहाड़ हैं। इसलिए यहां खुफिया तरीके से काम करना आसान है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और सैन्य खुफिया इकाइयों की इस पर कड़ी निगरानी रहती है।
रिसाव की खबरों को क्यों बल मिला, जानिए वजह
रेडियोएक्टिव रिसाव की खबरों को तब बल मिला, जब पता चला कि अमेरिकी ऊर्जा विभाग का एक विमान Beechcraft B350 (AMS) कथित हमलों के बाद पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में उड़ रहा था। यह एक विशेष विमान है जो हवा में और जमीन पर रेडियोधर्मी प्रदूषण को मापने के लिए बनाया गया है। इसमें गामा-रे सेंसर लगे हैं जो रेडियोधर्मी तत्वों की पहचान कर सकते हैं। यह परमाणु दुर्घटनाओं या गुप्त रिसावों के बाद प्रदूषण का पता लगाने के लिए एकदम सही है। यह विमान लाइव डेटा को कमांड सेंटर में भेज सकता है। इससे अमेरिकी अधिकारियों को दुनिया भर में परमाणु घटनाओं का तुरंत पता चल जाता है।
मिस्र का भी विमान चीन होते हुए यहां पहुंचा
अमेरिकी विमान के बाद युद्धविराम की घोषणा के कुछ घंटों बाद मिस्र की वायु सेना का एक Ilyushin IL-76 सैन्य परिवहन विमान पाकिस्तान के मुर्री में उतरा और फिर वहां से चला गया। माना जा रहा है कि यह पहले चीन से रवाना हुआ और फिर पाकिस्तान के भुरबन हवाई पट्टी (मुर्री) पर थोड़ी देर रुका। इसके बाद यह संयुक्त अरब चला गया। मिस्र के विमान के उड़ान मार्ग और समय ने अटकलों को जन्म दिया है कि यह किसी आपातकालीन सहायता मिशन में शामिल हो सकता है। संभव है कि यह बोरोन लेकर आया हो, जो एक रासायनिक यौगिक है और इसका इस्तेमाल परमाणु विकिरण को रोकने के लिए किया जाता है।