


27 जून से शुरू होगी, वहीं, ‘बहुदा यात्रा’ 5 जुलाई को है। त्योहार के दौरान, तीन देवताओं-जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भक्तों द्वारा तीन विशाल लकड़ी के रथों में गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है, जहां वे एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं। दैतापति सेवक बिनायक दास महापात्र ने मीडिया से बातचीत में इस पवित्र आयोजन के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भारत में पुरी एक अनूठी जगह है, जहां भगवान जगन्नाथ स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं। स्नान पूर्णिमा और रथ यात्रा जैसे आयोजन भगवान और भक्तों के बीच गहरे रिश्ते को दर्शाते हैं।
लाखों भक्त दर्शन के लिए उमड़ते है
बिनायक दास महापात्र ने बताया, “जब भगवान को बुखार होता है, तो ऐसा माना जाता है कि वह भक्तों के कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं। स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान 15 दिनों तक ‘अनासर’ में रहते हैं, जहां विशेष अनुष्ठानों के साथ उनकी सेवा की जाती है। यह समय भगवान की अलौकिक शक्ति और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दिखाता है।”उन्होंने कहा कि नंदीघोष, तालध्वज और देवदलन रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जनकपुर की यात्रा करते हैं और लाखों भक्त उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं।
11 जून को स्नान पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा
बुधवार, 11 जून को स्नान पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रत्न सिंहासन से निकलकर स्नान बेदी की ओर बढ़ेंगे। यहां वे 108 घड़ों के सुगंधित जल से पवित्र स्नान करेंगे। दैतापति सेवक मंदिर में प्रवेश करेंगे और रथ यात्रा के समापन तक विशेष अनुष्ठान करेंगे।
देर रात सेनापति लागी और बहुतकांता अनुष्ठान होंगे
बिनायक दास ने बताया कि स्नान पूर्णिमा से पहले देर रात सेनापति लागी और बहुतकांता अनुष्ठान होंगे। इसके बाद स्नान मंडप तक पहांडी जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें भगवान को भव्य तरीके से ले जाया जाएगा। आगामी रथ यात्रा की प्रशासनिक तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। मंदिर के सेवक अपने-अपने कार्यों में जुटे हैं, ताकि यह आयोजन सुचारु रूप से संपन्न हो। स्नान पूर्णिमा और रथ यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचने लगे हैं। प्रशासन भी सुरक्षा और व्यवस्था के लिए कड़े इंतजाम कर रहा है।