


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस वर्ष जन्माष्टमी पर 100 साल बाद दुर्लभ व अशुभ माना जाने वाला ज्वालामुखी योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 16 अगस्त की रात्रि और 17 अगस्त की भोर में सुबह 4.38 बजे से सुबह 5.55 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग रहेगा। 16 अगस्त को सुबह 8 बजे के बाद ज्वालामुखी योग भी रहेगा। दो योग तो शुभ योग हैं, लेकिन ज्वालामुखी योग अशुभ है। ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि आनंद रात्रि कहलाती है। इस रात्रि में कोई भी योग अशुभ प्रभाव नहीं डालता। फिर भी इस योग के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा से पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश ओर संकट मोचन हनुमान जी की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
ऐसे बनता है ज्वालामुखी योग
जब प्रतिपदा तिथि पर मूल नक्षत्र हो तब ज्वालामुखी योग बनता है। पंचमी तिथि पर भरणी नक्षत्र के पड़ने , अष्टमी तिथि पर कृतिका नक्षत्र बनने, नवमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र हो एवं दशमी तिथि पर आश्लेषा नक्षत्र हो तो ज्वालामुखी योग बनता है। इस बार पर्व के दिन इस तरह की स्थिति बन रही है।
तीन रात्रियों पर अशुभ योग नहीं करते असर
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि, नवरात्र की अष्टमी व जन्माष्टमी की रात्रियां आनंद रात्रि मानी जाती हैं। इन रात्रियों पर कोई अशुभ योग प्रभावी नहीं होता। उन्होंने बताया कि इसके बावजूद भी मन में शंका न रहे, इसलिए जन्माष्टमी पूजन के पहले गजानन एवं हनुमानजी का पूजन श्रेष्ठ होगा।