


भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम इंडिया के नए टाइटल स्पॉन्सर की खोज शुरू कर दी है। इससे पहले ड्रीम11 और माय11सर्कल जैसे ब्रांड्स ने बीसीसीआई के साथ मिलकर कुल 1000 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। अब इस भारी-भरकम डील के लिए कई दिग्गज कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।
आवेदन की आखिरी तारीख 12 सितंबर
बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है कि टाइटल स्पॉन्सर बनने के लिए इच्छुक कंपनियों को **12 सितंबर 2025** तक आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बोर्ड ने कई शर्तें और पात्रता मापदंड तय किए हैं।
इन कंपनियों को नहीं मिलेगा मौका
बीसीसीआई ने अपने बयान में साफ कर दिया है कि कुछ कंपनियाँ आवेदन के लिए अयोग्य होंगी:
ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के तहत प्रतिबंधित गतिविधियों में संलग्न कंपनियाँ।
तंबाकू और शराब से जुड़ी कंपनियाँ।
मौजूदा स्पॉन्सर से संबंधित ब्रांड कैटेगरीज की कंपनियाँ।
एक ही कंपनी अपने किसी अन्य ब्रांड नाम से भी आवेदन नहीं कर सकेगी।
सिर्फ बड़ी कंपनियाँ ही कर सकेंगी आवेदन
टाइटल स्पॉन्सर बनने की दौड़ में वही कंपनियाँ भाग ले सकती हैं जिनका: पिछले 3 सालों का औसत टर्नओवर 300 करोड़ रुपये से अधिक हो,या उनकी औसत नेट वर्थ कम से कम 300 करोड़ रुपये हो।
टाइटल स्पॉन्सरशिप बनी खतरे की घंटी?
बीसीसीआई के साथ जुड़ने के बाद कुछ बड़ी कंपनियों की आर्थिक हालत बिगड़ गई है।
सहारा
बायजूस
स्टार स्पोर्ट्स — सभी को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
इस ट्रेंड को देखकर अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या बीसीसीआई का टाइटल स्पॉन्सर बनना फायदे से ज़्यादा जोखिम भरा है?
अब कौन लेगा जिम्मा?
इस बार टाइटल स्पॉन्सर की रेस में रिलायंस, अमूल, टाटा, या कोई नया इंटरनेशनल ब्रांड भी उतर सकता है। देखने वाली बात होगी कि कौन इस बार इस चुनौती और अवसर दोनों को स्वीकार करता है।