


सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 'कैश-एट-रेजिडेंस' मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा।
जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में इन-हाउस जांच समिति की उस रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 'कैश-एट-रेजिडेंस' प्रकरण में दोषी ठहराया गया है। उनका आरोप है कि जांच प्रक्रिया न केवल एकपक्षीय रही, बल्कि उसमें न्यायिक मर्यादाओं का भी पालन नहीं किया गया।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने भरोसा दिलाया कि एक विशेष पीठ गठित कर निष्पक्ष एवं समयबद्ध सुनवाई सुनिश्चित की जाएगी।
याचिका में जस्टिस वर्मा ने दलील दी है कि उन्हें उचित अवसर नहीं दिया गया, और जांच के दौरान प्रस्तुत किए गए उनके पक्ष को नज़रअंदाज़ किया गया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि इन-हाउस प्रणाली की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव था।
यह मामला तब चर्चा में आया जब न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की खबरें सामने आईं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने उन्हें दोषी करार दिया।
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में खुद हस्तक्षेप कर रहा है, तो यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि विशेष पीठ इस संवेदनशील और प्रतिष्ठा से जुड़े मामले में क्या रुख अपनाती है।