


भारतीय टेस्ट क्रिकेट के स्तंभ माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने हाल ही में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनका एक बड़ा बयान चर्चा का विषय बन गया है। पुजारा ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा - मैं किसी भी युवा खिलाड़ी को ये नहीं कहूंगा कि सिर्फ टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान दो। समय बदल रहा है। आज के दौर में व्हाइट बॉल क्रिकेट यानी टी20 और वनडे ज़्यादा अहम हो चुके हैं। पुजारा ने यह भी स्वीकार किया कि उनके करियर में एक वजह रही कि वह आईपीएल या सीमित ओवरों की क्रिकेट में बहुत सफल नहीं रहे — और यही उन्हें टेस्ट टीम में भी प्रभावित करता रहा।
पुजारा ने सिस्टम पर उठाए सवाल
पुजारा ने अपने बयान में यह गंभीर संकेत दिया कि भारत की टेस्ट टीम में चयन भी अब आईपीएल या वनडे-टी20 प्रदर्शन पर निर्भर हो गया है। उन्होंने कहा - अब अगर किसी युवा खिलाड़ी को भारत की टेस्ट टीम में जगह बनानी है तो उसे आईपीएल में या वनडे-टी20 में अच्छा करना होगा। सिर्फ रणजी ट्रॉफी का प्रदर्शन काफी नहीं है।" हालांकि पुजारा ने यह भी जोड़ा कि "टेस्ट क्रिकेट खत्म नहीं होगा। यह बना रहेगा।" लेकिन सेलेक्शन को लेकर उनका यह साफ संकेत भारतीय क्रिकेट सिस्टम के लिए एक आत्ममंथन का विषय बन सकता है।
पृष्ठभूमि: क्यों चर्चा में हैं पुजारा?
- चेतेश्वर पुजारा ने 2023 के बाद से टीम इंडिया में वापसी की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
- उन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 7000+ रन बनाए, लेकिन सीमित ओवरों की क्रिकेट में खुद को साबित नहीं कर सके।
- IPL में उनका करियर सीमित रहा, जिससे चयनकर्ताओं की नजरों से धीरे-धीरे बाहर होते गए।
भविष्य की क्रिकेट दिशा क्या होगी?
पुजारा के इस बयान से यह साफ होता है कि अब क्रिकेट सिर्फ तकनीक या फॉर्मेट पर नहीं, बल्कि लोकप्रियता और प्रदर्शन की मार्केटिंग पर भी चल रही है। नए खिलाड़ियों को अब तीनों फॉर्मेट्स में खुद को ढालना जरूरी हो गया है — खासकर व्हाइट बॉल क्रिकेट में।