


वर्षा ऋतु को सामान्यतः ठंडक और नमी से भरपूर माना जाता है, जिससे यह भ्रम होता है कि इस मौसम में शरीर में पानी की कमी नहीं हो सकती। लेकिन सच्चाई यह है कि बारिश के मौसम में भी डिहाइड्रेशन यानी शरीर में जल की कमी एक आम समस्या हो सकती है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
डिहाइड्रेशन क्या है?
डिहाइड्रेशन तब होता है जब शरीर को उसकी आवश्यकतानुसार तरल पदार्थ नहीं मिलते, जिससे पसीने, मूत्र, मल या साँस के माध्यम से निकला पानी पूरा नहीं हो पाता। इसका असर शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली पर पड़ता है।
वर्षा ऋतु में डिहाइड्रेशन क्यों होता है?
1. कम प्यास लगना: बारिश में ठंडक के कारण लोगों को प्यास कम लगती है, जिससे वे पर्याप्त पानी नहीं पीते।
2. आद्र्रता का भ्रम: मौसम में नमी होने के कारण यह लगता है कि शरीर में भी नमी बनी हुई है, जबकि अंदरूनी तौर पर जल की कमी हो सकती है।
3. ज्यादा चाय-कॉफी का सेवन: वर्षा में लोग गरम पेय अधिक पीते हैं, जो मूत्रवर्धक (diuretic) होते हैं और शरीर से पानी बाहर निकालते हैं।
4. संक्रमण और उल्टी-दस्त: बारिश में जलजनित बीमारियाँ जैसे दस्त या उल्टी से शरीर में पानी की भारी कमी हो सकती है।
डिहाइड्रेशन के लक्षण:
मुँह का सूखना
थकान और चक्कर आना
मूत्र का गाढ़ा पीला होना
पेशाब का बार-बार न आना
मांसपेशियों में ऐंठन
सिरदर्द
बचाव के उपाय:
1. नियमित जल सेवन: भले ही प्यास न लगे, हर कुछ घंटों में पानी पीना चाहिए।
2. नारियल पानी, छाछ और नींबू पानी का सेवन: यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की संतुलन बनाए रखते हैं।
3. फल और सब्जियाँ: तरबूज, खीरा, संतरा जैसे जलयुक्त फलों का सेवन करें।
4. कैफीन और जंक फूड से परहेज़ करें।
5. उल्टी-दस्त होने पर ORS घोल जरूर लें।
वर्षा ऋतु में डिहाइड्रेशन की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह शरीर की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है और गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। मौसम कोई भी हो, शरीर को जल की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। अतः वर्षा ऋतु में भी जल संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।