


देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, रविवार सुबह 7 बजे तक दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 273 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म धूल और जहरीले कण अब सांस लेने के लिए हानिकारक स्तर तक पहुंच चुके हैं।
दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद चिंताजनक हो गई है। बवाना में एक्यूआई 303, वजीरपुर में 361, विवेक विहार में 358, अशोक विहार में 304, जहांगीरपुरी में 314, नेहरू नगर में 310, द्वारका में 327, सीरी फोर्ट में 317 और आरके पुरम में 322 दर्ज किया गया। ये सभी इलाके 300 से 400 के बीच एक्यूआई दर्ज कर रहे हैं, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। वहीं इंडिया गेट, कर्तव्य पथ, लाल किला और कनॉट प्लेस जैसे क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता सामान्य से काफी नीचे पाई गई है।
राजधानी के अधिकांश अन्य इलाकों में एक्यूआई 200 से 300 के बीच रहा, जिसे ‘खराब’ श्रेणी में रखा गया है। यह स्थिति न केवल सांस के मरीजों बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी हानिकारक मानी जाती है। दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति अच्छी नहीं है। फरीदाबाद में एक्यूआई 158, गाजियाबाद में 173, ग्रेटर नोएडा में 172, गुरुग्राम में 187 और नोएडा में 158 दर्ज किया गया। इन शहरों की हवा ‘मध्यम से खराब’ श्रेणी में है।
सीपीसीबी के मानकों के अनुसार, 0 से 50 तक एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 तक ‘संतोषजनक’, 101 से 200 तक ‘मध्यम’, 201 से 300 तक ‘खराब’, 301 से 400 तक ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण के बढ़ने के पीछे वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, पराली जलाना और मौसम में बदलाव जैसे कारक जिम्मेदार हैं। दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मौजूदा स्थिति पर नजर रखी हुई है और जल्द ही ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)’ के तहत आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।