


ओडिशा के पुरी स्थित प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर में इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यानी 27 जून 2025 को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी। यह आयोजन 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगा। इस दौरान लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से भगवान के दर्शन और रथ खींचने के लिए पहुंचते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, यदि किसी भक्त को भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य मिल जाए, तो उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त होती है। जो भी श्रद्धालु शुद्ध हृदय और भाव से इस आयोजन में भाग लेते हैं, उन्हें विशेष आध्यात्मिक फल की प्राप्ति होती है।
🧵 कहां और कैसे बनते हैं भगवान के वस्त्र?
पुरी रथ यात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए विशेष वस्त्र तैयार किए जाते हैं। ये वस्त्र ओडिशा के खुर्दा जिले के रावतपाड़ा गांव में रहने वाले पारंपरिक बुनकरों द्वारा बनाए जाते हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी बुनकर परिवार पूरी पवित्रता और समर्पण के साथ इसे निभा रहे हैं।
ये वस्त्र पारंपरिक हथकरघा तकनीक से, बिना किसी मशीन की सहायता के, शुद्ध सूती और रेशमी धागों से बनाए जाते हैं। तैयार होने के बाद इन्हें विशेष विधि से पवित्र किया जाता है, फिर भगवान को अर्पित किया जाता है।
👑 रथ यात्रा के 7 दिन, 7 रंग
रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ 7 दिन तक रोज़ाना अलग-अलग रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इन रंगों का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। प्रमुख रंगों में शामिल हैं:
- लाल, सफेद, पचरंगी, पीला और काला
- रात को भगवान जगन्नाथ लाल और पीले वस्त्र पहनते हैं
- बलभद्र के रथ पर लाल और हरे रंग के वस्त्र सजते हैं
- सुभद्रा का रथ लाल और काले वस्त्रों से सजाया जाता है
ये सभी परिधान भगवान के नगर भ्रमण (नगर यात्रा) के लिए विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं।