शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दो टूक रखते हुए कहा कि, आतंकवाद के खिलाफ भारत के पास अपने नागरिकों की सुरक्षा करने का अधिकार है, ऐसा हमने करके दिखाया है और आगे भी करेंगे। जयशंकर ने एससीओ से भी आग्रह किया कि वह आतंकवाद को लेकर जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाये। एससीओ की अध्यक्षता इस साल रूस कर रहा है। नये अध्यक्ष की अगुवाई में एससीओ के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक थी सदस्य देशों के बीच सहयोग के एजेंडे पर विमर्श हुआ है।
जयशंकर ने चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, भारत समेत दस सदस्यीय इस संगठन में सुधार करने और इसे अत्याधुनिक बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि, भारत एससीओ में सुधार केंद्रित एजेंडे के समर्थन में है। संगठित तौर पर होने वाले अपराध, मादक द्रव्यों के कारोबार और साइबर सिक्योरिटी को रोकने के लिए इस संगठन की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों का हम स्वागत करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एससीओ की भाषा अंग्रेजी करने के बारे में प्राथमिकता से कदम उठाने की अपील की। अभी एससीओ की आधिकारिक भाषा चीनी और रूसी है।
अपने भाषण के अंत में भारतीय विदेश मंत्री ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, “हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी। बीते वर्षों में इसके खतरे और भी गंभीर हो गए हैं। यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के जीरो-टोलेरेंस (शून्य सहिष्णुता) दिखाए। इसे न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता, ना ही इसकी अनदेखी की जा सकती है और ना ही इस पर लीपापोती हो सकती है। जैसा कि भारत ने प्रदर्शित किया है, हमें आतंकवाद के विरुद्ध अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है और हम इसका प्रयोग आगे भी करेंगे।